टैंपर वीडियो, बिना निगेटिव के फोटो, कोर्ट में क्यों नहीं टिक पाए सीबीआई के 'सबूत'
बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज एसके यादव ने अपना फैसला सुना दिया है. उन्होंने कहा कि बाबरी ढांचा ध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. घटना अकस्मात हुई, पूर्व नियोजित नहीं थी.
30 Sep 2020 | 1618
बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज एसके यादव ने अपना फैसला सुना दिया है. उन्होंने कहा कि बाबरी ढांचा ध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. घटना अकस्मात हुई, पूर्व नियोजित नहीं थी. अशोक सिंघल के खिलाफ साक्ष्य नहीं है. सीबीआई कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.
2300 पन्नों के जजमेंट में सीबीआई कोर्ट ने माना कि यह घटना अचानक हुई थी. कोई पूर्व सुनियोजित साजिश नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि फोटो से किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता है. फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी को जिस तरह से साबित किया गया वह साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है.
फैसला सुनाते हुए जज एसके यादव ने कहा कि कोर्ट में टेंपर्ड सबूत पेश किए गए थे. इसे (बाबरी मस्जिद का ढांचा) अराजक तत्वों ने तोड़ा है, इन 32 लोगों ने बचाने की कोशिश की. अचानक से भीड़ आई और उन लोगों ने ढांचे को गिरा दिया.
ये 32 आरोपी हुए बरी
सीबीआई कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर को बरी करार दिया है.