सुल्तानपुर लोकसभा में बाहरियों की रही बहार,72 में से 38 वर्ष तक जीत का फहराया परचम
सुल्तानपुर लोकसभा में बाहरियों की रही बहार,72 में से 38 वर्ष तक जीत का फहराया परचम
18 May 2024 | 339
सुल्तानपुर। उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा में दिलचस्प और दिलदार मतदाता हैं।पहले चुनाव से लेकर अब तक सुल्तानपुर का इतिहास खंगाला जाए तो सुल्तानपुर लोकसभा बाहरी प्रत्याशियों को खूब पसंद आती है।देश के पहले लोकसभा चुनाव से ही कांग्रेस ने यह परिपाटी शुरू की जो 1961 में कांग्रेस को करारा झटका लगने के बाद बदल गई, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को जीत तभी मिली जब उसने बाहरी प्रत्याशियों को टिकट दिया।सुल्तानपुर लोकसभा में अब तीन उपचुनाव समेत कुल 20 चुनाव हुए।इसमें आठ बार बाहरी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की और 72 वर्ष में 38 वर्ष सांसद रहे।
1951-52 के पहले चुनाव में सुल्तानपुर सीट का नाम था। सुल्तानपुर जिला उत्तर साथ अयोध्या जिला दक्षिण पश्चिम। अमेठी सीट पहले चुनाव में सुल्तानपुर (दक्षिण) और 1957 के दूसरे चुनाव में मुसाफिरखाना संसदीय क्षेत्र कहलाया। कांग्रेस ने दोनों ही चुनाव में दोनों ही सीटों पर 1952 और 1957 दोनों ही चुनाव में बाहरी प्रत्याशी उतारे और दोनों बार सफलता मिली।इससे स्थानीय कांग्रेस नेताओं में गहरी नाराजगी थी,जिसके चलते जब 1961 में गोविंद मालवीय की मृत्यु के बाद उपचुनाव हुआ तो शहर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता और कांग्रेस नेता गणपत सहाय निर्दल उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस प्रत्याशी के सामने उतरे और कड़े मुकाबले में जीत हासिल कर ली।