प्रेरक प्रसंग: सविता सेंगर ने कहा-भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण-संवर्द्धन के लिए आगे आएं युवा

प्रेरक प्रसंग: सविता सेंगर ने कहा-भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण-संवर्द्धन के लिए आगे आएं युवा

16 Apr 2025 |  29

 

रांची। प्रख्यात शिक्षाविद झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलाधिपति प्रोफेसर (डॉ.) सविता सेंगर ने कहा है कि भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा के संरक्षण-संवर्द्धन के लिए विशेष कर युवा पीढ़ी की सहभागिता जरूरी है।प्राचीन परंपराओं के संवाहक के रूप में युवा पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है। 

 

 प्रोफेसर सविता सेंगर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली में मील का पत्थर साबित हो रहा है। शैक्षणिक संस्थानों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना और भारत को वैश्विक शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की पहल सराहनीय है।शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार,शिक्षा में समानता, शिक्षा को अधिक समावेशी बनाना सभी वर्गों के छात्रों के लिए लाभदायक है।

 

प्रोफेसर सविता सेंगर ने कहा कि छात्रों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है,जिसमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास शामिल है। छात्रों को आधुनिक युग के कौशल (हूनर) से लैस करने की दिशा में शैक्षणिक संस्थानों का प्रयास प्रशंसनीय है।विश्वविद्यालय में कौटिल्य ज्ञान केंद्र की स्थापना से कौटिल्य के अर्थशास्त्र और उनके राजनीतिक विचारों के अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

 

बता दें कि कौटिल्य एक प्राचीन भारतीय विद्वान थे,जिन्होंने अर्थशास्त्र,राजनीति और कूटनीति पर महत्वपूर्ण कार्य किया था।उनके विचारों का प्रचार-प्रसार छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच करने के उद्देश्य से झारखंड राय विश्वविद्यालय में कौटिल्य ज्ञान केंद्र की स्थापना की गई है। इसके माध्यम से कौटिल्य के कार्यों पर अनुसंधान और अध्ययन को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इसके साथ ही इस क्षेत्र में नए ज्ञान सृजन की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। 

 

प्रो.सेंगर ने कहा कि कौटिल्य ज्ञान केंद्र के माध्यम से कौटिल्य के विचारों पर चर्चा और विचार-विमर्श किए जाने से विकास के विभिन्न आयामों को समझने का अवसर भी प्राप्त होगा।भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण-संवर्द्धन की दिशा में कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कौटिल्य ज्ञान केंद्र की स्थापना से विश्वविद्यालय में छात्रों और शोधकर्ताओं को कौटिल्य के विचारों और उनके महत्व को समझने का अवसर भी प्राप्त होगा। इससे भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। 

 

प्रो.सविता सेंगर ने कहा कि विश्वविद्यालय के इन प्रयासों से उच्च शिक्षा में अपेक्षित सुधार  संभव होगा। यह भारत को वैश्विक शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में काफी  सहायक होगा।

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