जरूरत पड़ने पर यहां पर इमरजेंसी में उतर जाएंगे विमान,दूसरे विश्व युद्ध के समय में अंध‌ऊ में बनी थी ये हवाई पट्टी,84 साल पुरानी है कहानी

जरूरत पड़ने पर यहां पर इमरजेंसी में उतर जाएंगे विमान,दूसरे विश्व युद्ध के समय में अंध‌ऊ में बनी थी ये हवाई पट्टी,84 साल पुरानी है कहानी

10 May 2025 |  31

 

गाजीपुर।युद्ध के समय लडा़कू विमान और अन्य जहाजों को उतारने के लिए हवाई पट्टी की जरूरत होती है।इसी जरूरत को समझते हुए ब्रिटिश शासन में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के अंधऊ गांव में एक हवाई पट्टी का निर्माण हुआ था।यह लगभग 63 एकड़ में फैली हुई है। इस हवाई पट्टी पर अभी तक कोई लड़ाकू विमान नहीं उतरा,लेकिन छोटे प्लेन और हेलीकॉप्टर आए दिन इस पर उतरते हैं।यह हवाई पट्टी तत्कालीन समय में सुरक्षा की दृष्टि से बनाई गई थी।

 

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में छिड़ गया है।इस युद्ध में लड़ाकू विमान की महत्वपूर्ण भूमिका है।भारत ने पाकिस्तान के एयर स्पेस को तबाह कर दिया है।लगातार मिसाइल और ड्रोन अटैक हो रहे हैं।ऐसे में अगर हम गाजीपुर की बात करें तो गाजीपुर में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब पूरा विश्व दो खेमों में बटा हुआ था,तब उस समय जापान भारत के कई इलाकों पर हमला कर रहा था।सैनिकों को राशन और अन्य सामग्री पहुंचाने के लिए गाजीपुर में दो हवाई पट्टी ब्रिटिश सरकार द्वारा इमरजेंसी में तैयार की गई थी,जिसमें एक गाजीपुर के अंधऊ गांव में है,जबकि दूसरी मोहम्मदाबाद तहसील के गौसपुर गांव में है।

 

सैनिकों को राशन पहुंचाने के लिए हुआ था निर्माण

 

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान लगातार भारत पर हमला कर रहा था और उस समय नेपाल और गोरखपुर एयरवेज नजदीक में था और खासकर बर्मा जो भारत के बगल में ही था,उसी को लेकर हमला किया जा रहा था, ऐसे में ब्रिटिश सरकार इन सभी को ध्यान में रखकर अंधऊ हवाई पट्टी और गौसपुर के पास एक अन्य हवाई पट्टी का निर्माण कराया, जहां पर सैनिकों के लिए राशन सामग्री और अन्य सामग्री भेजी जाए।साथ ही जरूरत पड़ने पर इमरजेंसी में विमान को उतारा जा सके।बर्मा देश पास में होने के कारण भी जापान हमला कर रहा था।

 

आज तक नहीं उतरा लड़ाकू विमान 

 

इसका निर्माण लगभग 1941,1942 के आसपास हुआ था। वहीं जब देश आजाद हुआ तो इसे हवाई पट्टी के रूप में विकसित किया गया।इसी हवाई पट्टी की मदद से आजादी के दीवानों ने ब्रिटिश शासन के अनाज को भी लूटने का काम किया था।दूसरा अंधऊ हवाई पट्टी देश की आजादी के बाद से इसे विकसित किया जाने लगा और यहां पर आए दिन छोटे विमान और हेलीकॉप्टरों के उतरने का क्रम जारी हुआ।इस हवाई पट्टी पर मऊ बलिया और बिहार की राजनीति करने वाले नेताओं का भी आवागमन होता रहा है।यानी कि यह लोग छोटे विमान और हेलीकॉप्टरों से यहां उतरकर फिर सड़क मार्ग से इन जिलों में जाया करते थे।वहीं मौजूदा समय में देश के बड़े नेता भी छोटे विमान और हेलीकॉप्टर से चुनाव के दरमियान यहीं से आते-जाते हैं।

 

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ था निर्माण

 

अंधऊ हवाई पट्टी पर अभी तक कोई बड़ा विमान तो नहीं उतरा और ना ही अभी तक कोई लड़ाकू विमान,हालांकि पिछले दिनों गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा द्वारा इसे विकसित कराए जाने की योजना को अमल में लाया गया था,लेकिन मनोज सिन्हा लोकसभा चुनाव हार गए और मामला ठंडा पड़ गया।इसके अलावा गाजीपुर से राज्यसभा सांसद डॉक्टर संगीता बलवंत ने भी इस हवाई पट्टी को विकसित करने के लिए राज्यसभा में मामला उठा चुकी हैं।

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