शरिया को संविधान से ऊपर बताने पर मंत्री हफीजुल हसन का अभाविप ने किया कड़ा विरोध

शरिया को संविधान से ऊपर बताने पर मंत्री हफीजुल हसन का अभाविप ने किया कड़ा विरोध

16 Apr 2025 |  91

शरिया को संविधान से ऊपर बताने पर मंत्री हफीजुल हसन का अभाविप ने किया कड़ा विरोध

 

जो लोग शरिया को संविधान से ऊपर मानते हैं,उन्हें शरिया देश में चले जाना चाहिए:राहुल रजक

 

पूर्वांचल सूर्य प्रतिनिधि,रामगढ़।झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन द्वारा शरिया कानून को भारतीय संविधान से ऊपर बताने संबंधी बयान पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद रामगढ़ नगर सह मंत्री राहुल रजक ने मंगलवार को तीव्र आपत्ति जताई है।

 

राहुल रजक ने कहा कि मंत्री द्वारा दिया गया अमर्यादित व असंवैधानिक बयान न केवल भारतीय संविधान की मूल आत्मा पर चोट है, बल्कि यह देश की एकता,अखंडता और सामाजिक समरसता के लिए भी घातक है।एक जनप्रतिनिधि से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने शब्दों और विचारों में संयम बरते, संविधान की मर्यादा का पालन करे और देश के नागरिकों के बीच सद्भाव बनाए रखे। 

 

राहुल रजक ने कहा कि हसन का बयान स्पष्ट रूप से उनके कर्तव्यों और संवैधानिक पद की गरिमा के विपरीत है। यह बयान न केवल करोड़ों भारतीयों की भावनाओं को आहत करता है, बल्कि एक गलत परंपरा को बढ़ावा देता है, जिसमें सत्ता के नशे में चूर नेता संविधान को ताक पर रख कर मनमानी बयानबाजी करते हैं।

 

राहुल रजक ने कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि भारत का संविधान सर्वोच्च है,चाहे कोई भी पद पर क्यों न हो, उसे संविधान की सीमाओं में रहकर ही कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में संविधान सर्वोपरि है और जो लोग शरिया को संविधान से ऊपर मानते हैं, उन्हें उसी देश में जाना चाहिए जहां शरिया कानून लागू है।भगवान बिरसा मुंडा और डॉ. भीमराव आम्बेडकर की धरती पर शरिया या उसकी सोच के लिए कोई जगह नहीं है। यदि कोई मंत्री संविधान का अपमान करता है, तो वह न सिर्फ अपने पद के अयोग्य बनता है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी खतरा बन जाता है। 

 

नगर मंत्री नितेश कुमार मोदी ने कहा कि एक तरफ इस देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हाथ में संविधान की प्रति लेकर घूमते है वहीं दूसरी ओर उनके पार्टी के नेता के ऐसे असंवैधानिक बयान देते है,जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं और इसलिए राहुल गांधी व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से मांग करते हैं कि हाजीफुल हसन को उनके पद से तुरंत बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि ऐसी शर्मनाक और असंवैधानिक टिप्पणी करने से पहले सौ बार सोचे। संविधान के सम्मान में हम कभी पीछे नहीं हटेंगे और जो भी उसका अपमान करेगा, उसका लोकतांत्रिक तरीके से डटकर विरोध करेंगे।

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