चित्रकूट में सबसे अधिक बच्चे बौनेपन का शिकार,50 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ रही बच्चों की हाइट,क्या है कारण 

चित्रकूट में सबसे अधिक बच्चे बौनेपन का शिकार,50 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ रही बच्चों की हाइट,क्या है कारण 

30 Jul 2025 |  54

 

लखनऊ।उत्तर प्रदेश में बच्चे बौनेपन का शिकार हो रहे हैं। पांच साल से कम उम्र के बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। 34 जिलों में पांच साल से कम उम्र के 50 फीसदी से अधिक बच्चों में बौनेपन की समस्या पाई गई है।ये एक चिंता का विषय बन गया है।

 

केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से संसद में पेश की गई ताजा रिपोर्ट के अनुसार चित्रकूट जिला 59.58 फीसदी बौनेपन की दर के साथ देश में तीसरे स्थान पर है।इसका खुलासा केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने 25 जुलाई को बिहार के सीपीआई सांसद सुदामा प्रसाद और टीडीपी सांसद श्रीभरत मथुकुमिलि के सवालों के जवाब में किया है।

 

रिपोर्ट के अनुसार देश के 63 जिलों में बौनेपन की दर 50 फीसदी से अधिक है,इसमें से 34 जिले अकेले उत्तर प्रदेश के हैं।महाराष्ट्र का नंदुरबार जिला 68.12 फीसदी के साथ पहले और झारखंड का पश्चिम सिंहभूम 59.48 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर है।यूपी के चित्रकूट,बांदा,संभल,फिरोजाबाद, जौनपुर,हमीरपुर,बरेली,अमरोहा,सीतापुर और एटा जैसे जिले बौनेपन के मामले में टॉप 10 की लिस्ट में शामिल हैं।

 

केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर ने बताया कि जून 2025 तक आंगनबाड़ी और पोषण ट्रैकर पर देश भर में 7.36 करोड़ बच्चे रजिस्टर्ड हैं,जिनमें से 7 करोड़ बच्चों की लंबाई और वजन का डाटा इकट्ठा किया गया।इस डाटा से पता चला कि 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 63 जिलों में 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे बौनेपन से पीड़ित हैं।उत्तर प्रदेश के 34 जिलों का इस लिस्ट में शामिल होना राज्य में पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है।

 

बता दें कि उत्तर प्रदेश के बाल विकास सेवा और पुष्टाहार विभाग की निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने हाल ही में दावा किया था कि संभव अभियान 4.0 के तहत कुपोषण,आयरन की कमी और एनीमिया की दर में कमी आई है। मई 2025 की NFHS-5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5) की रिपोर्ट के मुताबिक, तीव्र कुपोषण की दर 2019-21 के 17.3 फीसदी से घटकर 4 फीसदी और अल्पवजन बच्चों की दर 34.5 फीसदी से घटकर 20 फीसदी हो गई है।

 

इस सफलता के आधार पर 7 जुलाई 2025 को संभव अभियान 5.0 की शुरुआत भी की गई,हालांकि संसद में पेश की गई बौनेपन की उच्च दर की रिपोर्ट इन दावों पर सवाल खड़ा करती है।एक्सपर्ट का मानना है कि बौनेपन की समस्या कुपोषण,खराब स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं का परिणाम है,जिसे दूर करने के लिए और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

 

रिपोर्ट में यूपी के कुछ जिलों की स्थिति खासतौर पर चिंताजनक बताई गई है।चित्रकूट में 59.44 फीसदी बच्चे बौनेपन से ग्रस्त हैं,जबकि बांदा में यह आंकड़ा 59.33 फीसदी है,संभल में 56.79 फीसदी,फिरोजाबाद में 56.37‌ फीसदी, जौनपुर में 54.89 फीसदी और हमीरपुर में (54.72 फीसदी है।इसके अलावा,हापुड़,मुजफ्फरनगर,सोनभद्र,मिर्जापुर,
फर्रुखाबाद,उन्नाव,कौशांबी,मैनपुरी,सुलतानपुर,गाजीपुर, बाराबंकी,पीलीभीत,बदायूं,प्रतापगढ़,गोंडा,सिद्धार्थनगर, हरदोई,फतेहपुर,आगरा,ललितपुर,महोबा,लखनऊ,रायबरेली और मुरादाबाद जैसे जिले भी इस समस्या से अछूते नहीं हैं।

 

बौनेपन की उच्च दर बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है।यह परेशानी सिर्फ पोषण की कमी तक सीमित नहीं है,बल्कि,स्वच्छता,शिक्षा, और आर्थिक स्थिति जैसे कारकों से भी जुड़ी है।

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