कानपुर।दिल्ली धमाका और आतंकी संगठन से जुड़ाव रखने वाली डॉ. शाहीन से कानपुर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन अब पीछा छुड़ाना चाहता है।फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष की पट्टिका से डॉक्टर शाहीन का नाम सफेद रंग से छिपा दिया गया। सात साल तक विभाग में प्रोफेसर के अलावा एक सितंबर 2012 से 31 दिसंबर 2013 तक विभागाध्यक्ष रही।
गायब होने के पहले शाहीन थी विभागाध्यक्ष
गायब होने तक डॉक्टर शाहीन विभागाध्यक्ष थी। इस मामले में कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि देश विरोधी गतिविधियों में शामिल डॉक्टर शाहीन ने शर्मसार किया है।शुक्रवार को भी डॉक्टर शाहीन को लेकर तमाम चर्चाओं का बाजार जोरों पर रहा। सूत्रों ने बताया कि शहर के कई इलाकों से जुड़ाव रखने वाली शाहीन कई छोटे और दूर-दराज मोहल्लों में भी आती-जाती रहती थी। रामनारायण बाजार,बाबूपुरवा,सुजातगंज,रोशन नगर में उसके कई लोगों से संपर्क रहे।
हमेशा चैट में मशगूल रहता था आरिफ
कार्डियोलॉजी में डीएम का कोर्स करने आए अनंतनाग के डॉ. मोहम्मद आरिफ मीर का स्वभाव बेहद गंभीर रहा।किसी से ज्यादा बातचीत न करने वाला आरिफ हमेशा मोबाइल पर बिजी रहता था।आरिफ अक्सर चैट करते हुए देखा जाता था। आरिफ अशोक नगर में किराए के कमरे से कार्डियोलॉजी रोज ओला बाइक से आता-जाता रहता था।आरिफ के कमरे और अस्पताल का फासला लगभग दो किलोमीटर है।
नेटवर्क जिंदा रखने के लिए तो नहीं चुना कॉर्डियोलॉजी
कार्डियोलॉजी के डॉक्टर और स्टाफ में दिनभर आरिफ को लेकर चर्चा रही।दबी जुबान से तरह-तरह की अटकलें भी लगती रहीं।कई लोगों का यह भी कहना रहा कि कहीं डॉ. शाहीन के नेटवर्क को जिंदा रखने के लिए डॉ. आरिफ ने कार्डियोलॉजी को चुना। डीएम कोर्स के लिए एसपीजीआई में चयन होने के बाद भी नहीं जाना किसी से गले नहीं उतर रहा है। यह भी कहा गया कि 1608 रैंक आने के बाद एसपीजीआई में नहीं जाना कुछ अजीब लग रहा है।
सहमे हैं कश्मीरी डॉक्टर मुस्तैदी से कर रहे काम
कार्डियोलॉजी में अनंतनाग के डॉ आरिफ के आतंकी कनेक्शन मिलने के बाद यहां के दूसरे कश्मीरी डॉक्टर घबराए हुए हैं। दो दिन से सभी बेहद तनाव में हैं। सूत्र बताते हैं कि सभी का व्यवहार बदला लग रहा है। हालांकि ओपीडी और इमरजेंसी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। कार्डियोलॉजी में आरिफ को छोड़कर पांच कश्मीरी मूल के डॉक्टर अलग-अलग बैच में सुपर स्पेशलिएटी का कोर्स कर रहे हैं।