कृष्ण बिहारी मिश्र,रांची।झारखंड विधानसभा में सोमवार को जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के क्रम में झारखंड सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने के मामले में विधायक सरयू राय का ध्यानाकर्षण प्रस्ताव था।
प्रस्ताव में विधायक सरयू ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में जो अधिसूचना जारी किया है, वह संविधान के प्रावधान के प्रतिकूल है,झारखंड नगरपालिका अधिनियम के विरूद्ध है और यह टाटा लीज समझौता के भी विरूद्ध है,सरकार की ओर से नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार उनके सवालों का सही उत्तर नहीं दे सके।सदन में करीब 18 मिनट तक बहस हुई।
विधायक सरयू राय ने सभाध्यक्ष से कहा कि जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति की घोषणा सरकार ने जमशेदपुर में निगम बनाने के बदले में किया है। यानी संविधान के 73वें संशोधन के माध्यम से स्थानीय स्वशासन स्थापित करने के लिए हुआ है,परन्तु सरकार ने इसके बदले में ऐसी समिति बना दिया है,जिसमें टाटा स्टील के 14 पदाधिकारी हैं,सरकार के 6 पदाधिकारी हैं,विधायक और सांसद है तथा 5 सदस्य मनोनीत है। सरयू राय ने कहा कि ऐसा करना संविधान और नियम के विरूद्ध है,क्योंकि संविधान के अनुसार इसमें जनता का प्रतिनिधि भी होना चाहिए।
सरयू राय ने कहा कि दूसरी बात यह है कि इसका अध्यक्ष स्थानीय मंत्री अथवा प्रभारी मंत्री को बना दिया गया है, जो नगरपालिका अधिनियम के विरूद्ध है।नगर पालिका अधिनियम की धारा 481(3) के हिसाब से इसका अध्यक्ष उपायुक्त को होना है। साथ ही जितनी नागरिक सुविधाएं इस समिति के अनुसार जनता को मिलेंगी, उससे कई गुना अधिक सुविधाएं देने का प्रावधान टाटा स्टील और सरकार के बीच हुए टाटा लीज समझौता की अधिसूचना के द्वारा दिया गया है। यानी सरकार द्वारा घोषित जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति संविधान के अधिनियम एवं नियम के विरूद्ध है।
सरयू राय ने कहा कि सदन में मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और संविधान के प्रावधानों का उल्लेख किया,जो अप्रासंगिक और भ्रामक है।फिर भी मंत्री विधानसभा में अपनी बात पर अड़े रहे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने नियमन दिया कि सरयू राय नगर विकास विभाग के मंत्री से अलग से इस पर वार्ता करें।सरयू राय उनसे मिले और सारी बातों और तथ्यों को उनके समक्ष रखा।सरकार के पास उनके ध्यानाकर्षण में उठाए गए तथ्यों को कोई जवाब नहीं है। अंत में मंत्री ने आश्वासन दिया कि चूंकि अधिसूचना मंत्रिपरिषद से निर्गत हुई है, इसलिए इसको मंत्रिपरिषद में ले जाना पड़ेगा। सरयू राय ने उनसे कहा कि मंत्री इसके बारे में मुख्यमंत्री से बात करें और इसे मंत्रिपरिषद में ले जाकर संशोधित कराएं नहीं तो इस तरह कि व्यवस्था जमशेदपुर की जनता के हितों के प्रतिकूल होगी। मंत्री ने कहा कि इसके लिए एक एसओपी बनेगी। इस पर सरयू राय ने कहा कि इससे काम नहीं चलने वाला है। इस समिति के प्रावधान में आमूलचूल परिवर्तन होना चाहिए नहीं तो यह लगेगा कि झारखण्ड सरकार जनता के हितों के प्रति संवेदनशील नहीं है।
सरयू राय ने औद्योगिक नगर समिति की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया और कहा कि इसके क्रियान्वयन में बहुत सारी कठिनाइयां सामने आयेंगी। यदि सरकार उनके सुझावों को मानकर औद्योगिक नगर समिति की अधिसूचना में संशोधन नहीं करती है तो वे इसके लिए जनजागरण अभियान चलायेंगे।
सरयू राय ने आरोप लगाया कि सरकार ने विधानसभा में गलत उत्तर देकर सदन को गुमराह किया है। सर्वोच्च न्यायालय का कोई भी ऐसा आदेश नहीं है कि आप जमशेदपुर में औद्योगिक नगर समिति ही गठित कीजिये। यह सरकार और टाटा स्टील के बीच का समझौता है,जिसकी सूचना इन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को दी है।
सरयू ने कहा कि तीसरी बात यह है कि झारखंड में कई ऐसे स्थान है,जहां औद्योगिक नगर समिति बनाई जा सकती है। जैसे सेल के अधीनस्थ बोकारो और सीसीएल-बीसीसीएल के कई इलाकें है,जहां वे नागरिक सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं, फिर सरकार ने ऐसी समिति बनाने के लिए केवल जमशेदपुर को ही क्यों चुना है,जो भी समिति बनेगी उसमें जनता का सीधा प्रतिनिधित्व होना चाहिए।