बालू दलालों को नहीं प्रशासन का ख़ौफ़,शहर में हो रही खुलेआम बालू डंपिंग,बिना रॉयल्टी और टैक्स के फल-फूल रहा धंधा

बालू दलालों को नहीं प्रशासन का ख़ौफ़,शहर में हो रही खुलेआम बालू डंपिंग,बिना रॉयल्टी और टैक्स के फल-फूल रहा धंधा

04 Nov 2025 |  15

 



संजय कुमार धीरज,साहिबगंज।जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क किनारे अवैध रूप से डंप की गई बालू,जहां एक ओर हादसों का कारण बन रही है,वहीं दूसरी ओर प्रशासन की निष्क्रियता भी अब स्थानीय लोगों में आक्रोश का कारण बन रही है।जिरवाबाड़ी,चानन,मदनशाही,लोहंडा,साक्षरता मोड़ चौक और न जानें कितनी जगहों पर बिना परमिट के खुलेआम बालू का भंडारण किया जा रहा है।



शिकायतों पर कार्यवाही नहीं



स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि ये माफिया न सिर्फ सरकारी जमीन पर कब्जा कर बालू डंप कर रहे हैं, बल्कि कई जगहों पर सार्वजनिक रास्तों को भी बाधित कर चुके हैं। रोजाना राहगीर बाल-बाल बचते हैं और कई बार स्कूली बच्चों की साइकिलें तक इन ढेरों में फिसल चुकी हैं। ग्रामीणों ने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।



जनप्रतिनिधियों की चुप्पी चर्चा का विषय



जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी अब चर्चा का विषय बन चुकी है। लोगों का आरोप है कि बालू माफियाओं और नेताओं की मिलीभगत के चलते ही यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो कुछ प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में यह अवैध डंपिंग कार्य दिनदहाड़े हो रहा है। कई बार ट्रक और ट्रैक्टर ट्रालियां बिना नंबर प्लेट के बालू लाकर सड़कों के किनारे गिरा देती हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई जांच या कार्यवाही नहीं की जाती।



सरकारी राजस्व को हो रहा भारी नुकसान



इन अवैध गतिविधियों से सरकार को राजस्व का भी बड़ा नुकसान हो रहा है। न तो बालू के परिवहन के लिए रॉयल्टी दी जा रही है, न ही किसी प्रकार का टैक्स। इससे न केवल सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है, बल्कि अवैध कमाई का धंधा भी फल-फूल रहा है।



स्थानीय प्रशासन से उठ रही कार्रवाई की मांग



शहर के बुद्धिजीवी ग्रामीणों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों ने मांग की है कि क्षेत्र में हो रही इस अवैध गतिविधि पर तत्काल रोक लगाई जाए, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और बालू माफियाओं के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।हालांकि उपायुक्त हेमन्त सती ने सड़क किनारे बालू डंपिंग करने वालों पर कार्रवाई के आदेश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। परंतु उनके आदेश के अक्षरशः पालन में संदेह है।


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