झारखंड विधानसभा चुनाव:सपा 46 सीटों पर बागियों के भरोसे,इस फॉर्मूले से झारखंड में दौड़ेगी साइकिल

झारखंड विधानसभा चुनाव:सपा 46 सीटों पर बागियों के भरोसे,इस फॉर्मूले से झारखंड में दौड़ेगी साइकिल

25 Oct 2024 |  18

 

रांची।झारखंड विधानसभा चुनाव से भले ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दूरी बनाकर रखी हो, लेकिन सपा झारखंड में साइलेंट स्ट्रैटजी के सहारे खेल करने की तैयारी में है।वोट प्रतिशत बढ़ाने और साइकिल को झारखंड में मजबूत करने के लिए सपा दो रणनीति पर काम कर रही है।सपा ने झारखंड में जहां 46 सीटों पर प्रत्याशियों कै उतारने का फैसला किया है।वहीं सपा उन दिग्गजों को साध रही है, जो इंडिया और एनडीए गठबंधन की तरफ से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक रहे हैं।

 

2019 में मिले थे 16 हजार वोट

 

बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारा था।इसमें जामताड़ा और मधुपुर की मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा सीटें मुख्य थीं।सपा को किसी भी सीट पर न तो जीत मिली और न ही जमानत बची। हालांकि पूरे चुनाव में सपा को 16 हजार वोट जरूर मिले थे।शिवपाल सिंह यादव की पार्टी ने भी प्रत्याशी उतारा था। शिवपाल की पार्टी को पूरे चुनाव में लगभग 5 हजार वोट मिले थे।चाचा भतीजे का पार्टी का वोट अगर मिला दिया जाए तो यह 20 हजार के पार पहुंच जाता है।सपा की कोशिश इस बार वोट को इजाफा करना है।सपा इसी हिसाब से झारखंड में रणनीति तैयार कर रही है।

 

46 सीटों पर सपा उतारेगी प्रत्याशी

 

झारखंड में विधानसभा की 81 विधानसभा सीटें हैं,जिसमें से 46 सीटों पर इस बार सपा प्रत्याशी उतारेगी।मनिका, विश्रामपुर और गढ़वा जैसी विधानसभा सीटों पर सपा ने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान भी कर दिया है।सपा में सिंबल बांटने और प्रत्याशी के नाम फाइनल का जिम्मा झारखंड के प्रभारी व्यासजी गोंड और प्रदेश अध्यक्ष रंजन यादव के पास है।सपा उन सीटों पर ज्यादा फोकस कर रही है, जहां यादव और मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है।सपा ने समझौते के तहत इंडिया गठबंधन से 11 सीटों की मांग की थी,लेकिन झामुमो और कांग्रेस ने मांग को सिरे से खारिज कर दिया था।

 

चुनाव लड़ने के लिए सपा अपना रही ये फॉर्मूला

 

सपा झारखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जो सबसे बड़ा फॉर्मूला अपना रही है,उसमें दिग्गजों को साधना है।सपा उन दिग्गजों को साध रही है, जो दूसरी बड़ी पार्टी से नाराज चल रहे हैं।गढ़वा विधानसभा सीट पर सपा ने गिरिनाथ सिंह को प्रत्याशी बनाया है।गिरिनाथ लालू की पार्टी से सिंबल चाहते थे, लेकिन सीट झामुमो के खाते में चली गई।गिरिनाथ गढ़वा सीट पर विधायक रह चुके हैं। 2014 में गिरिनाथ को 53 हजार वोट मिले थे।इसी तरह पलामू लोकसभा सीट से 2024 के चुनाव में आरजेडी प्रत्याशी रही ममता भुइयां ने भी सपा का दामन थाम लिया है।सपा ममता को पलामू प्रमंडल की किसी सीट से प्रत्याशी बना सकती है। लोकसभा चुनाव में ममता को 4 लाख 81 हजार वोट मिले थे। इसी तरह विश्रामपुर सीट पर अंजू सिंह को सपा ने प्रत्याशी बनाया है। अंजू 2014 के चुनाव में यहां से दूसरे नंबर पर रह चुकी हैं।

 

अखिलेश खुद दूरी बनाकर कर रहे खेल

 

झारखंड विधानसभा के चुनावी समर में जहां सपा प्रत्याशी उतार रही है।वहीं सपा के बड़े नेता झारखंड से दूरी बनाकर चल रहे हैं।महाराष्ट्र का सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ताबड़तोड़ दौरा कर चुके हैं,लेकिन झारखंड में अब तक एक बार भी नहीं आए हैं।कहा जा रहा है कि इंडिया गठबंधन के मजबूती को देखते हुए अखिलेश यादव झारखंड से दूरी बनाकर चल रहे हैं।अखिलेश यादव की कोशिश यहां से सिर्फ वोट प्रतिशत बढ़ाने से है,जिससे सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा आसानी से मिल सके।

 

बता दें कि चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए चार या उससे ज्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है।इसके अलावा पार्टी को सीटों और वोटों के इन 4 पैमाने में से किसी एक को पूरा करना होता है।

 

1. इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं।

 

2. या तो उस पार्टी के कम से कम चार प्रत्याशी किसी राज्य या राज्यों से सांसद चुने जाएं।

 

3. संबंधित पार्टी कम से कम चार राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल कर ले।

 

4. लोकसभा की कुल सीटों में से कम से कम दो प्रतिशत सीटों पर 3 राज्यों में जीत दर्ज करे।

 

अखिलेश यादव लंबे समय से सपा को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने की कवायद में जुटे हैं। अखिलेश ने इसको लेकर कई बार अपील भी की है।इंडिया गठबंधन में होने और अन्य राज्यों में मजबूत संगठन न रहने की वजह से अब साइलेंट रणनीति के तहत ही सपा काम कर रही है।

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