बाल विवाह व पर्यावरण कानून कि अलख जगाने पारा लीगल वॉलंटियर अब पहुंचेंगे घर-घर

बाल विवाह व पर्यावरण कानून कि अलख जगाने पारा लीगल वॉलंटियर अब पहुंचेंगे घर-घर

29 Jun 2025 |  43

बाल विवाह व पर्यावरण कानून कि अलख जगाने पारा लीगल वॉलंटियर अब पहुंचेंगे घर-घर

 

जब एक स्त्री अपने अधिकारों को जानती है,तभी वह अत्याचार को चुनौती दे पाती है:न्यायाधीश

 

पूर्वांचल सूर्य प्रतिनिधि,धनबाद। बाल विवाह महिलाओं के विकास में रुकावट है,वहीं पर्यावरण की रक्षा भावी पीढ़ियों की सुरक्षा है और इन सभी की नींव रखती है कानूनी साक्षरता और संवैधानिक चेतना।ये बातें प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के निर्देश पर शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा सिविल कोर्ट में आयोजित कार्यशाला में पारा लीगल वॉलेंटियन जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पैनल अधिवक्ता एलडीसीएस की टीम को संबोधित करते हुए अवर न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार मयंक तुसार टोपनों ने कही। 

 

कार्यशाला को संबोधित करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि हमें गांव-गांव जाकर लोगों को यह संकल्प दिलाना होगा कि न किसी बालिका का बचपन छीना जाएगा,न कोई स्त्री अपने अधिकारों से वंचित रहेगी और न प्रकृति के साथ अन्याय होगा।उन्होंने कहा कि बाल विवाह एक ऐसा अपराध है जो अक्सर समाज की चुप्पी और परंपरा के नाम पर होने वाले समझौतों के कारण पनपता है।ज़रूरत है कि हम पंचायत, स्कूल और आंगनवाड़ी स्तर पर कानूनी जागरूकता बढ़ाएं। 

 

पर्यावरण संरक्षण पर न्यायाधीश ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, हम सबका दायित्व है, पर्यावरण संरक्षण अब केवल एक नारा नहीं, एक कानूनी और नैतिक अनिवार्यता है। उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं को शक्ति और संस्कृति का प्रतीक माना गया है, परंतु व्यवहार में उन्हें शोषण,भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ा। इसलिए आवश्यकता हुई कि कानून द्वारा उन्हें सुरक्षा, समानता और सम्मान प्रदान किया जाए जब एक स्त्री अपने अधिकारों को जानती है, तभी वह अत्याचार को चुनौती दे पाती है। आइए, हम सब यह संकल्प लें नारी को ना दया की ज़रूरत है, न सुरक्षा की भीख की उसे चाहिए बस कानून का ज्ञान और न्याय की पहुंच।

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