बारिश की मार से न पूंजी उठी न मेहनताना,टूट गई परिवार की उम्मीदें

बारिश की मार से न पूंजी उठी न मेहनताना,टूट गई परिवार की उम्मीदें

05 Oct 2025 |  78

 

पूर्वांचल सूर्य प्रतिनिधि,साहिबगंज। इस बार दुकानदारों का उत्साह और उमंग से दुर्गोत्सव मनाने का सपना मौसम ने तोड़ दिया।महानवमी से लेकर विजयादशमी तक लगातार हो रही बारिश ने श्रद्धालुओं की भीड़ को रोक दिया। महानवमी की शाम अचानक हुई झमाझम बारिश ने पूरे शहर की रौनक फीकी कर दी। देर रात तक बारिश होती रही,जिस कारण पंडालों में अधिकांश और अनुमानित श्रद्धालु पहुंच ही नहीं पाए। यहां तक कि गुरुवार को विजयादशमी और शुक्रवार को विसर्जन के दिन भी हालात कुछ अलग नहीं रहे। सुबह से शाम तक रुक-रुक कर हुई बारिश के कारण लोग घरों से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके।हालांकि शाम को जब थोड़ी देर के लिए बारिश थमी तब श्रद्धालु घर से बाहर निकले। 

  

 साहिबगंज के लिए यह दुर्गोत्सव यादगार रहा,लेकिन वजह उत्साह के साथ-साथ लगातार हुई बारिश भी रही। नवरात्र के दौरान हुई बारिश ने छोटे दुकानदारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। दुर्गा पूजा पंडालों के आसपास सैकड़ों दुकानदार कर्ज लेकर ठेला और दुकान सजाए बैठे थे,लेकिन पूंजी भी नहीं निकल पाई। शहर में एक दर्जन से अधिक पूजा पंडाल बनाए गए थे। सभी पूजा पंडालों के पास मेला लगा था। साथ ही, सभी जगहों पर ठेला-खोमचा व खाने-पीने की अस्थायी दुकानें सजी थीं। कारोबारियों को उम्मीद थी कि इस बार अच्छा कारोबार होगा, लेकिन बारिश के कारण 25 प्रतिशत भी कारोबार नहीं हुआ। बारिश के कारण न ग्राहक पहुंचे और न ही ठीक से बिक्री हुई। कई दुकानदारों के सामने अब उधारी चुकाने का संकट खड़ा हो गया है।

 

पचगढ़ के रवि साव ने बताया कि कर्ज लेकर बाजार में हमने छोला-भटूरा की दुकान लगाई थी। शुरुआत में थोड़ी रौनक दिखी,लेकिन लगातार बारिश ने भीड़ का उत्साह कम कर दिया।बाजार तो चला पर वैसा नहीं जैसा हमने सोचा था। मेहनत और खर्च के हिसाब से आमदनी कम रही। त्यौहार में जहां हमें मुनाफा मिलना चाहिए था, इस बार बारिश ने व्यापार पर पानी फेर दिया।केदार गुप्ता ने बताया कि बरसात ने पूरा माहौल बिगाड़ दिया। 30 हजार रुपये की पूंजी लगाकर आईसक्रीम और चाइनीज फूड का ठेला लगाया था। उम्मीद थी कि त्यौहार में अच्छी कमाई होगी, लेकिन बारिश ने भीड़ रोक दी। जितना निवेश किया था, वह भी नहीं निकल पाया। अलग से नुकसान भी उठाना पड़ा। पूरे परिवार की उम्मीदें टूट गई।

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