पुलिस की गोली से मौत,परिजनों ने मुआवजे की मांग पर शव लेने से किया इनकार,सरकार और दूतावास हरकत में

पुलिस की गोली से मौत,परिजनों ने मुआवजे की मांग पर शव लेने से किया इनकार,सरकार और दूतावास हरकत में

03 Nov 2025 |  17

 



पूर्वांचल सूर्य ब्यूरो,गिरिडीह।जिले के डुमरी प्रखंड के दूधपनिया गांव के 26 वर्षीय प्रवासी मजदूर विजय कुमार महतो की सऊदी अरब में संदिग्ध हालात में गोली लगने से हुई मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है।यह घटना न केवल प्रवासी मजदूरों की असुरक्षित जीवन स्थितियों पर गंभीर सवाल खड़ा करती है,बल्कि सरकारी तंत्र और कंपनियों की जिम्मेदारी पर भी उंगली उठाती है।



विजय कुमार महतो सऊदी अरब की हुंडई इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी में टावर लाइन फिटर के रूप में कार्यरत थे, करीब एक साल पहले बेरोजगारी के कारण सऊदी गए थे। विजय अपने पीछे पत्नी बसंती देवी,दो छोटे बेटे (एक की उम्र 5 वर्ष और दूसरे की 3 वर्ष) और माता-पिता को छोड़ गए। 



परिवार का कहना है कि घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी और विदेश जाने का निर्णय परिवार के भविष्य को सुधारने की उम्मीद में लिया गया था।



मिली जानकारी के अनुसार यह घटना 15 या 16 अक्टूबर को हुई।विजय कुमार महतो उस दिन सऊदी के जेद्दा क्षेत्र में अपने वर्कसाइट के पास पैदल जा रहे थे,तभी स्थानीय पुलिस और एक शराब तस्करी/उत्पीड़न गैंग (एक्सटॉर्शन गैंग) के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। उसी दौरान चली गोलियों में से एक गोली विजय को जा लगी। गोली किसी और को निशाना बनाकर चलाई गई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश वह विजय को लगी।गोली लगने के बाद विजय गंभीर रूप से घायल हो गए और गिर पड़े।स्थानीय लोगों के अनुसार विजय लगभग एक घंटे तक सड़क किनारे तड़पते रहे। बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इलाज के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई।कंपनी की ओर से परिवार को 24 अक्टूबर को इस घटना की सूचना दी गई। बताया गया कि विजय की मौत एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में हुई है। हालांकि, परिजनों ने इस पर संदेह जताया है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।



मृतक विजय कुमार महतो की पत्नी बसंती देवी ने बताया कि घटना के दिन विजय ने उन्हें खोरठा भाषा में एक वॉयस नोट भेजा था। उसमें उन्होंने कहा था,मैं गोली लगने से घायल हूं… एक घंटे से मदद का इंतजार कर रहा हूं, कोई नहीं आया… शायद मैं बच नहीं पाऊंगा।



बसंती देवी ने यह संदेश सुनने के बाद तत्काल ससुराल में जानकारी दी,लेकिन उन्हें यह भरोसा था कि शायद विजय का इलाज चल रहा होगा और वे बच जाएंगे। कुछ दिनों बाद जब कंपनी की ओर से मौत की पुष्टि आई, तो पूरा परिवार सदमे में चला गया।



बसंती देवी का कहना है,उन्होंने कहा था कि वे वर्कसाइट के पास ही थे और अचानक फायरिंग शुरू हो गई। जब गोली लगी तो मदद के लिए कोई नहीं आया। अब मेरे दो छोटे बच्चे हैं, उनका भविष्य कौन संभालेगा।



मृतक विजय कुमार महतो के बड़े भाई राम प्रसाद महतो ने कहा,विजय निर्दोष थे।वे अपने काम से लौट रहे थे। गोली गलती से लगी, लेकिन कंपनी ने तत्काल कोई कदम नहीं उठाया,कंपनी जिम्मेदार है।जब तक हमें मुआवजे की लिखित गारंटी नहीं मिलेगी, हम शव नहीं लेंगे।



मृतक विजय के पिता ने बताया कि बेरोजगारी की वजह से बेटा सऊदी गया था। उसने गांव से पासपोर्ट बनवाया और एजेंट के माध्यम से हुंडई कंपनी में काम पाया। हमें उम्मीद थी कि कुछ साल में घर की हालत सुधरेगी,लेकिन किस्मत ने सब छीन लिया। अब कंपनी मुआवजा दे, वरना हम दिल्ली जाकर धरना देंगे।



पीड़ित परिवार का कहना है कि विजय के दो छोटे बच्चे एक हॉस्टल में पढ़ता हैं। अब उनकी परवरिश और शिक्षा का कोई सहारा नहीं है। इसलिए जब तक उचित मुआवजा नहीं मिलेगा, वे शव को भारत नहीं लाएंगे।



घटना के बाद डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो ने राज्य श्रम विभाग से औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।श्रम विभाग की माइग्रेंट कंट्रोल सेल की अधिकारी शिखा लकड़ा द्वारा रांची के प्रोटेक्टर ऑफ एमिग्रेंट्स और भारतीय दूतावास (रियाद/जेद्दा) को पत्र भेजा गया है।



भारतीय दूतावास ने पुष्टि की है कि शव वर्तमान में मक्का के जुमुम पब्लिक प्रॉसीक्यूशन ऑफिस में है।जांच पूरी होने और पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट जारी होने के बाद ही शव भारत भेजा जा सकेगा। दूतावास ने कहा है कि वे नियोक्ता कंपनी हुंडई इंजीनियरिंग के संपर्क में हैं और सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।



गिरिडीह के बगोदर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने बताया कि उन्होंने इस मामले की जानकारी श्रम विभाग और जिला प्रशासन को दी है। उन्होंने कहा,सरकार को सिर्फ शव लाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इस गरीब परिवार को सऊदी कंपनी से उचित मुआवजा भी दिलाना चाहिए।



विजय कुमार महतो का परिवार और ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया है कि अगर अगले कुछ दिनों में मुआवजे को लेकर ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे दिल्ली में धरना देंगे। परिवार का आरोप है कि कंपनी और एजेंट दोनों ने अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।



गांव के मुखिया ने भी सरकार से अपील की है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इस मामले को प्राथमिकता दें, ताकि शव शीघ्र भारत लाया जा सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।



बता दें कि यह मामला प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाता है। हर साल झारखंड और बिहार से हजारों युवक खाड़ी देशों में काम करने जाते हैं, जिनमें से कई असुरक्षित हालात में अपनी जान गंवा देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कंपनियां और एजेंट इन मजदूरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।डुमरी विधायक जयराम महतो ने कहा,राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं के लिए एक आपात सहायता कोष बनाना चाहिए और विदेशों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा के लिए सख्त प्रोटोकॉल तय करना चाहिए।फिलहाल विजय का शव सऊदी अरब में जांच पूरी होने तक वहीं रखा गया है। सरकार और दूतावास दोनों सक्रिय हैं, लेकिन परिवार का मुआवजे पर अड़ना प्रक्रिया को धीमा कर सकता है।



डुमरी का यह मामला सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि उस पूरे वर्ग की कहानी है जो रोजगार के लिए विदेश जाता है और कभी-कभी अपनों के पास ताबूत बनकर लौटता है। सवाल यह है कि प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन के लिए कब तक इंतजार करना होगा।


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