हमीरपुर।अगर आप कानपुर-सागर हाईवे का सफर कर रहे हैं तो जरा संभल संभल कर चलिए।क्योंकि इस हाईवे को खूनी हाईवे कहा जाता है।बिना डिवाइडर वाला यह दो लेन वाला हाईवे न जानें कितनों की जान ले चुका हैं।रात होते ही इस हाईवे पर अंधेरा छा जाता है।रात रोशनी की कमी के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।पुलों पर रेडियम पट्टी नहीं है और जेब्रा क्रॉसिंग भी गायब हैं।भारी यातायात और बेसहारा गोवंश भी खतरे का कारण बनते हैं।
कहीं भी न तो रोशनी की व्यवस्था है और न ही हमीरपुर में यमुना और बेतवा पुलों पर कोई प्रकाश की व्यवस्था।सर्दी का समय आ चुका है और हालात यह हैं कि दोनों पुलों की रेलिंगों में न तो रेडियम पट्टी चमक रही है और न ही हमीरपुर से महोबा तक बनें इस 85 किलोमीटर हाईवे पर जेब्रा क्रासिंग बनी हुई है।
हमीरपुर यमुना पुल से लेकर महोबा तक बनें इस 85 किलोमीटर कानपुर-सागर हाईवे पर चलने वालों के लिए हर तरफ खतरा ही खतरा मंडराता रहता है।दो लेन वाले इस हाईवे पर डिवाइडर न होने से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। इस हाईवे में होने वाली घटनाओं और लोगों की जिंदगी छीनने वाले इस हाईवे का लोगों ने खूनी हाईवे तक नाम रख दिया है, लेकिन आज भी इसमें सफर करने वालों के लिए कोई खास इंतजाम नही किए गए हैं।
85 किलोमीटर के हाईवे पर किनारे खड़े ट्रक,डंपर और अन्य वाहन भी कहीं न कहीं हादसों का कारण बने हुए हैं।अब सर्दी भी शुरू हो गई है और कुछ दिन बाद कोहरा भी गिरेगा।धुंध में हादसों का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा,लेकिन अभी तक जिम्मेदार कंपनी द्वारा न तो हाईवे पर जेब्रा क्रासिंग बनाई गई है और न ही व्हाइट पट्टी बनाई गई है। यदि समय रहते पीएनसी ने इस तरफ ध्यान नही दिया तो हर दिन हादसों को होने से कोई नही रोक पाएगा।
हमीरपुर कानपुर सागर हाईवे पर 24 घंटे में लगभग चार से पांच हजार वाहनों का आवागमन होता है।इसमें लगभग 1500 वाहन भारी वाहन शामिल हैं।इसके अलावा अन्य वाहन इस हाईवे से गुजरते हैं। रात होते ही यह हाईवे पूरी तरह से अंधेरे में डूब जाता है।इतना ही नही इस हाईवे पर बेसहारा गोवंश भी अपना विचरण करते रहते हैं,जिससे रात में हादसे और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं।हाईवे के साथ-साथ इसके चौराहों और तिराहों के साथ-साथ यमुना और बेतवा पुल पर भी रोशनी की कोई व्यवस्था नही है। कई जगह गड्ढे भी इस हाईवे की पहचान बने हुए हैं और इस पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है।
जनवरी से लेकर सितंबर तक लगभग सैकड़ा लोगों की मौत हो चुकी है।इस हाईवे पर वाहनों की तेज रफ्तार और डिवाइडर न होना दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बना हुआ है। कई बार जिलाधिकारी घनश्याम मीना ने बैठक में यमुना और बेतवा पुलों पर रोशनी का इंतजाम किए जाने का निर्देश दिए,लेकिन उनके आदेशों का भी पालन नही हुआ और आज भी यह हाईवे और पुल अंधेरे में डूबे हैं।
यातायात पुलिस द्वारा कानपुर-सागर हाईवे पर यमुना पुल के पास लगाए गए बोर्ड के अनुसार दो पहिया वाहन की अधिकतम रफ़्तार 80 किलोमीटर .प्रतिघंटा होनी चाहिए। वहीं तिपहिया वाहन की 50, कार और जीप की 100, बस और ट्रक की 90 और भारी मालवाहन की रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित की गई है,लेकिन इस रफ्तार से अधिक वाहन चालक फर्राटा भरते नजर आते हैं और वाहन सवार हादसे का शिकार हो जाते हैं।
कानपुर-सागर हाईवे पर लगे अधिकतर सूचना पट पूरी तरह से बेरंग हो चुके हैं।इसके हाईवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को पढ़ने में कुछ भी नही आ रहा है।ऐसे में वाहन चालकों को परेशानी होती है और इस पर जिम्मेदार अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नही दे रहे हैं।
कानपुर-सागर हाईवे पर जिन स्थानों में रेडियम या जेब्रा क्रासिंग नही बनी हुई है।वहां पर जेब्रा क्रासिंग बनवाई जाएगी। ताकि सर्दी में किसी भी तरह से हादसों पर रोक लगाई जा सके।वहीं रेडियम पट्टी भी लगवाई जाएगी। अमिताभ राय, एआरटीओ प्रवर्तन हमीरपुर।
सड़क सुरक्षा की बैठक में कार्यदायी संस्था के समक्ष यह सारे बिंदु रखे जाएंगें और हाईवे पर जो भी समस्याएं या कमियां हैं उन्हें दूर कराने का काम किया जाएगा। ताकि किसी भी प्रकार से कोई हादसा न हो। इसके साथ ही यातायात माह पर भी लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा।शाहरुख खान, सीओ यातायात हमीरपुर।