प्रयागराज।संगम नगरी में जनवरी 2025 में विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक मेले का आयोजन होने जा रहा है।गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी के संगम तट पर 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाले महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर है।महाकुंभ में जहां देश भर के संत महात्माओं का जमावड़ा होता है तो वहीं आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित अखाड़े भी कुंभ और महाकुंभ मेले की शोभा बनते हैं।कुंभ और महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में दीक्षा लेकर नए संत और नागा संन्यासी भी बनाए जाने की परम्परा है।इसी कड़ी में किन्नर अखाड़ा भी अपने विस्तार की योजना बना रहा है।किन्नर अखाड़े की संस्थापक और आचार्य महामंडलेश्वर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के मुताबिक वह किन्नर अखाड़े का इंटरनेशनल लेवल पर विस्तार करने जा रही हैं।
आचार्य महामंडलेश्वर डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि इसमें खास तौर पर थाईलैंड के बैंकाक,मलेशिया,सिंगापुर, यूएसए के सेंट फ्रांसिस्को,हालैंड, फ्रांस और रूस सहित दुनिया के कई देशों के 200 से अधिक किन्नर को किन्नर अखाड़े में शामिल करने की तैयारी है।खास तौर पर किन्नर अखाड़े के संपर्क में आए किन्नर विदेश की धरती पर भी किन्नर अखाड़े का गठन करना चाहते हैं।
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के मुताबिक वास्तव में किन्नर अखाड़ा किन्नर का एक रिलिजियस कॉन्वेंट है।उन्होंने कहा है कि सनातन धर्म में किन्नरों को एक विशेष स्थान दिया गया है उन्हें उपदेवता माना गया है,किन्नरों को सनातन धर्म में सम्मान और आदर मिला है।
किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के मुताबिक विदेशों में किन्नर अखाड़े के विस्तार से पहले सभी देशों के किन्नर को महाकुंभ में बुलाया जाएगा, उन्हें यहां दीक्षित किया जाएगा।इसके बाद किन्नर अखाड़े का देश के बाहर इंटरनेशनल लेवल पर विस्तार किया जाएगा।
बता दें कि किन्नर अखाड़े की स्थापना 2016 में उज्जैन में हुए सिंहस्थ कुंभ के पहले अक्टूबर 2015 में हुई थी।इसके बाद से लगातार किन्नर अखाड़े का विस्तार हो रहा है।किन्नर अखाड़े ने हिंदू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म अपना चुके दर्जनों किन्नरों की घर वापसी भी कराई है।अब तक किन्नर अखाड़े ने दर्जनों महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर भी बनाए हैं।इसके अलावा 2019 कुंभ के पहले किन्नर अखाड़ा लिखित समझौते के तहत सन्यासी परंपरा के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े से जुड़ गया था।जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरी के साथ जुड़कर किन्नर अखाड़े ने इस बार नगर प्रवेश भी किया है।इसके बाद किन्नर अखाड़े ने पेशवाई और महाकुंभ में शाही स्नान भी जूना अखाड़े के साथ ही करने की बात कही है।