प्रयागराज।संगम नगरी में जनवरी 2025 में गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी के संगम तट पर विश्व के सबसा बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुम्भ के रूप में होने वाला है।महाकुंभ में विलुप्त प्राय और दुर्लभ पक्षियों का भी संगम होने जा रहा है।बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान संगम की रेती पर पहुंच चुके हैं।पक्षियों की निगरानी वाइल्ड लाइफ की टीम कर रही है।
महाकुंभ का साक्षी बनने लुप्त प्राय इंडियन स्कीमर का 150 जोड़ा आ चुका है।संगम की रेती पर रंग बिरंगे इन मेहमानों की कलरव मां गंगा की कल-कल से मिलकर अलौकिक राग छेड़ रही है।इसी बर्ड साउंड थेरेपी के लिए देश विदेश से लोग आने लगे हैं।अभी विश्व में सबसे तेज उड़ान वाले पेरेग्रीन फाल्कन का भी इंतजार किया जा रहा है।बुलेट ट्रेन से तेज रफ्तार वाला पेरेग्रीन फाल्कन 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार में हवा से बातें करता है।संगम नगरी में यह अलौकिक नजारा यूपी में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के प्रयासों को बढ़ावा दे रहा है। वन विभाग भी इस अवसर को महाकुंभ से पूर्व बर्ड फेस्टिवल आयोजित कर सेलिब्रेट करने जा रहा है।
वन विभाग के आईटी हेड आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि महाकुंभ से पहले ही बड़ी संख्या में अप्रवासी पक्षी प्रयागराज आ रहे हैं। इनके साथ लुप्तप्राय इंडियन स्कीमर और साइबेरियन सारस भी बड़ी संख्या में हैं। इतनी बड़ी तादात में आने वाले देशी और विदेशी पक्षियों की गणना के लिए वाइल्डलाइफ की टीम लगाई गई है जो दिनरात इन पक्षियों की विशेष निगरानी कर रही है।
वाइल्डलाइफ के सामुदायिक अधिकारी केपी उपाध्याय ने बताया कि दुनिया भर में लुप्त प्राय इंडियन स्कीमर करीब 150 से अधिक के जोड़ों में संगम किनारे आ चुकी हैं। यह प्रदूषण को रोकने में काफी हद तक मददगार होती है। यही नहीं ये पानी की शुद्धता को बढ़ाने का भी काम करती हैं।
बता दें कि विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरुआत से पहले ही बड़ी संख्या में संगम की रेती पर पहुंचे ये पक्षी देश-विदेश से आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं।इंडियन स्कीमर फिलहाल रेत के टीले पर सुबह शाम आपको टहलते हुए आसानी से नजर आ रहे हैं।संगम नगरी में शेड्यूल वन की इंडियन स्कीमर, साइबेरियन, ब्लैक क्रेन,सारस जैसी 90 से अधिक प्रजातियों के पक्षी फिलहाल महाकुंभ के स्वागत के लिए आ गए हैं। 2022 में पेरेग्रीन फाल्कन को संगम की रेती पर देखा गया था।पेरेग्रीन फाल्कन की महाकुंभ में पहुंचने की उम्मीद है।
बता दें कि पेरेग्रीन फाल्कन विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी है।इसे रॉकेट बर्ड भी कहते हैं।इसकी रफ्तार जापान और चीन की बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा है। पेरेग्रीन फाल्कन 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी अधिक तेज रफ्तार से उड़ने में सक्षम है।इसके अलावा विभिन्न प्रकार के देशी और विदेशी पक्षी संगम की रेती को मुफीद मानते हुए महाकुंभ की शोभा बढ़ाने आ चुके हैं।इनमें साइबेरिया,मंगोलिया,अफगानिस्तान समेत 10 से अधिक देशों से ये विदेशी मेहमान विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ का आनंद बढ़ाने के लिए आए हैं।
पक्षी वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रयागराज में बड़ी संख्या में पहुंच चुके इंडियन स्कीमर बहुत ही ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। यह अपने अंडों को बचाने के लिए तरह-तरह के इंतजाम करते हैं। सबसे खास बात यह है कि ये अधिकतर तीन ही अंडे देते हैं। मादा जब अपने पंखों से अंडों को ढक कर उनकी रखवाली करती है तो नर अपने पंखों में पानी भरने जाता है। नर जब वापस लौटता है तो अपने भीगे पंखों से अंडों को नमी देता है।फिर मादा को भेजता है अपने पंखों को नम करने के लिए। भारत में इन्हें पनचीरा भी कहा जाता है, क्योंकि यह पानी को चीरते हुए आगे बढ़ते हैं। इनकी एक चोंच छोटी तो दूसरी बड़ी होती है। साइबेरियन पक्षी गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर टापू को अपना निवास बनाते हैं। इन पक्षियों का आना सर्दियों की शुरुआत का संकेत है। साइबेरिया, मंगोलिया और अफगानिस्तान समेत 10 से अधिक देशों से पहुंचे ये साइबेरियन पक्षी महाकुंभ तक यहां वक्त बिताएंगे।