चौपारण प्रखंड के गौतम बुद्धा वन्यप्राणी आश्रयनी जंगलों का अस्तित्व खतरे में

चौपारण प्रखंड के गौतम बुद्धा वन्यप्राणी आश्रयनी जंगलों का अस्तित्व खतरे में

19 Nov 2024 |  10

चौपारण प्रखंड के गौतम बुद्धा वन्यप्राणी आश्रयनी जंगलों का अस्तित्व खतरे में

 

जानकर भी अनजान बैठे वन विभाग के अधिकारी,जेसीबी से जंगल समतलीकरण का कार्य जारी,विभाग मौन

 

झारखंड व बिहार के लगभग 25 अफीम तस्करों पर वनवाद दायर किया गया है: कुलदीप कुमार वनरक्षी

 

पूर्वांचल सूर्य प्रतिनिधि,चौपारण(हजारीबाग)।गौतम बुद्धा वन्यप्राणी आश्रयनी जंगल प्रचूर मात्रा में खनिज सम्पदा, बीहड़ जंगल और जंगली जानवरों से भरा हुआ था मगर अब ये जंगल अफीम की खेती के लिए जाना जाता है। ठंड का मौसम आते ही अफीम तस्करों की सक्रियता बढ़ जाती है और जंगलों के आसपास इन लोगों को देखा जाता है।

 

आश्रयनी क्षेत्र मुड़िया,दुरागड़ा,चोरदाहा,सिकदा,अहरी,
नावाडीह,ढोढीया,मुरेनिया,मुर्तिया,कविलास, गरमोरवा,कोठोडुमर,पथलगड़वा और बुकाड़ के जंगलों को तस्करों द्वारा अफीम की खेती का सबसे सेफ जोन माना जाता है।अफीम की खेती के लिए तस्करों द्वारा जंगलों को जेसीबी मशीन और दिहाड़ी मजदूर लगाकर जंगल की सफाई और जुताई का काम एकबार फिर शुरू हो गया है। वन विभाग के आला अधिकारी जानकर भी अनजान बैठे है। 

 

प्रभारी वनपाल छत्रपति शिवाजी और वनरक्षी कुलदीप कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि जंगल में अफीम की खेती के जंगल जुताई का मामला आया है और अहरी नावाडीह में अफीम की खेती के अंकुरित पौधे को पैर से रौंद दिया है और बिहार और झारखण्ड के लगभग 25 लोगों पर वनवाद दायर किया गया है और आगे भी इनके मनसूबे को पूरा नही होने देंगें।

 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कहीं न कहीं विभाग के कुछ दैनिक कर्मी का भी हाथ मोटी कमाई के लिए इस अफीम की खेती और तस्करों से मिला हुआ है। ये दैनिक कर्मी अफीम खेती के बाद लकड़ी तस्करों का भी खूब साथ निभाते है और जंगल से साइकिल पर लकड़ी लाने वाले लोगों से भी इन लोगों को गाढ़ी कमाई हो जाती है।

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