पानी-पानी करती दिल्ली की जनता, गोवा में सनी-सनी करते केजरीवाल!

बिजली-पानी के अभाव में तडपती दिल्ली को भूल केजरीवाल गोवा को दिल्ली बनाने में जुटे.

30 Jun 2016 |  1161

केजरीवाल के विरोधी कह रहे हैं कि “दिल्ली की जनता की विडंबना तो देखिये की जिस बिजली-पानी के मुद्दे पर केजरीवाल को तारणहार समझ 70 में से 67 सीटें देकर मुख्यमंत्री चुना था, आज जब इस भयानक उमस भरी गर्मी में उन्हें इस बिजली-पानी की सबसे ज्यादा जरुरत है तो उसका तारणहार उन्हें छोड़कर गोवा की रोमांटिक दुनिया का सैर कर रहा है.” लेकिन मै उनसे सहमत नहीं. केजरीवाल जी को कौन नहीं जानता. जो लोग केजरीवाल पर विश्वास करते हैं वो उन्हें मझधार में नहीं छोड़ते.क्या अन्ना को छोड़ा? प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को छोड़ा? फिर दिल्ली की जनता को कैसे छोड़ देंगें! विपक्ष का तो काम ही आरोप लगाना है. हो सकता है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल गोवा में समंदर का मुआयना करने गये हों कि कैसे इसका पानी दिल्ली वालों को मुहैया कराया जाय. पानी आने में वक्त तो लगता ही है. क्या मोदी जी ने काला धन लाने में वक्त लगने की बात नहीं कही है? और इसी क्रम में गोवा से समंदर का उमस यहाँ थोडा ज्यादा आ गया लगता है ! रही बात बिजली की कमी का तो देखिये कि अपने मुख्यमंत्री हाल के दिनों में किन राज्यों के दौरे पर रहते है. गोवा, पंजाब और गुजरात. इन राज्यों में बिजली की कोई कमी नहीं.अच्छे सिस्टम को तो समझना ही पड़ता है. देखिये केजरीवाल साहब यूपी, बिहार, असम, बंगाल, उड़ीसा आदि राज्यों में जाते हैं क्या? यहाँ तक कि चुनावों में भी नहीं गए. आखिर इन राज्यों में बिजली का संकट पहले से है तो यहाँ से क्या सिखने को मिलेगा? विरोधी कह सकतें हैं कि गोवा, गुजरात और पंजाब वो राज्य हैं जहाँ एक दशक से भी ज्यादा से बीजेपी और सहयोगियों की सरकार है, और यहाँ कांग्रेस दम तोड़ रही है तो ऐसे में वो “आप” को विकल्प के तौर पर पेश करना चाह रहे हैं. तो इसमें गलत क्या है? केजरीवाल जी क्या मोदी जी से कम हैं? उन्होंने स्वयं की तुलना हमेशा मोदी जी से ही तो की है. जब दिल्ली की जनता उन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है तो देश की जनता उन्हें प्रधान मंत्री क्यूँ नहीं बना सकती? युवा हैं, इमानदार हैं और सबसे बड़ी बात कि वो लालू-मुलायम से भी ज्यादा सेक्युलर हैं. और राजनीतिक कौशल में भी मोदी जी से कम नहीं. क्या हुआ कि बनारस में मोदी जी के आगे जमानत जब्त होते-होते बची, दिल्ली में उन्हें पानी पिलाया की नहीं? अरे हाँ पानी! देखिये, बात दिल्ली में पानी की किल्लत से शुरू होकर कहाँ से कहाँ पहुँच गयी. आखिर पानी है ही ऐसी चीज की अपना रास्ता खुद तलाश लेती है.अब केजरीवाल जी का ‘पानी’ फिलहाल गोवा, गुजरात और पंजाब में बसता है, देखें कि दिल्ली की जनता को और कितना ‘पानी-पानी’ होना है?

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