झारखंड के जलाशयों में झींगा पालन से आदिवासी समुदाय की आर्थिक स्थिति में हो रहा सुधार

झारखंड के जलाशयों में झींगा पालन से आदिवासी समुदाय की आर्थिक स्थिति में हो रहा सुधार

05 Dec 2024 |  56

 

पूर्वांचल सूर्य संवाददाता,रांची।राज्य के तीन जलाशयों जैसे कि मसरिया गुमला,केलाघाग सिमडेगा,घाघरा हजारीबाग में परियोजना‌ झारखंड के कम उपयोग वाले जलाशय संसाधनों में स्कैंपी झींगा मत्स्य पालन वृद्धि प्रौद्योगिकी की माध्यम से आदिवासी समुदाय की आजीविका में सुधार विषय पर झारखंड मत्स्य विभाग प्रायोजित परियोजना को क्रियान्वित कर रहा है।भारत में पहली बार गुमला जिला के मसरिया में एक नई तकनीक रांउंड  फ्लोटिंग पेन की स्थापना 28 नवंबर को किया गया है। 

 

इस पेन का उद्घाटन कुसुमलता (डीएफओ) फिशरी गुमला डिपार्टमेंट ऑफ फिशरी गुमला और आइसीएआर-सीआइएफआरआई द्वारा किया गया। साथ ही टीम का नेतृत्व डॉक्टर एके दास,प्रधान वैज्ञानिक सह परियोजना पीआई ने किया।सीआईएफआरआई के निदेशक डॉक्टर बीके दास के सक्षम मार्गदर्शन से किया गया। 

 

इस उद्घाटन कार्यक्रम में डैम के नजदीकी स्थित पीएम नवोदय विद्यालय के प्रधानाध्यापक,विद्यालय के स्टॉफ और साथ ही विद्यालय के दो सौ छात्र भी इस उद्घाटन समारोह में उपस्थित रहे।राउंड फ्लोटिंग पेन में 30 दिन का पोस्ट लार्वा साइज का  दो लाख झींगा बीज छोड़ा गया है,जिसमें 28 नवंबर को 75,000 और 4 दिसंबर को 85,260 पीस रोजेंनबर्गी प्रजाति का झींगा बीज का संचयन किया गया है।जैसे ही 10 से 20 ग्राम का झींगा मछली बीज हो जाएगा वैसे ही मुख्य जलाशय में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।ये फ्लोटिंग पेन झींगा मछली बीज को बढ़ाने में मदद करेगा और साथ ही खाऊ मछली तथा जंगली मछली से बचाएगा।जैसे कि मारेल,थाई मांगुर,सिंघी, कवई, गरई और बोवारी इत्यादि।

 

गौरतलब है कि इस तकनीक के माध्यम से मसरिया जलाशय में काम करने वाले आदिवासी समुदाय की आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।समग्र परियोजना गतिविधियों की निगरानी गुमला उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी और मत्स्य विभाग झारखंड के मत्स्य निदेशक एचएन द्विवेदी के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।

ट्रेंडिंग