महाकुंभनगर।संगम नगरी में गंगा धरा पर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ होने जा रहा है।महाकुंभ में कई नामी बाबा पहुंचे हैं।साधु-संत जप-तप और साधना में लीन हो गए हैं।इसमें एक ऐसे संत हैं श्रवण पुरी,जिनकी उमर केवल साढ़े तीन साल है।इन्हें संत का दर्जा जूना अखाड़े के बाबाओं ने अभी से दे दिया है। श्रवण पुरी के लक्षण साधु संन्यासियों के जैसे हैं।
श्रवण पुरी जूना अखाड़े के अनुष्ठान में शामिल होते हैं और आरती करते हैं।श्रवण पुरी का व्यवहार आम बच्चों से बिल्कुल अलग है।भोजन और फल खाना पसंद करते हैं।गुरु भाइयों के साथ खेलते हैं।माता पिता को याद करने के बजाए संतों के साथ तुतलाती भाषा में मंत्र बोलते हैं।
बता दें कि जब श्रवण पुरी तीन महीने के थे तब हरियाणा के फतेहाबाद के धारसूल क्षेत्र के रहने वाले इनके माता-पिता फरवरी 2021 में डेरा बाबा श्याम पुरी के आश्रम में दान कर गए थे।श्रवण पुरी के माता-पिता की कोई मन्नत पूरी हुई थी उसी के प्रतिफल में उन्होंने इनको आश्रम में दान कर दिया था,जिसे भी इस बाल संत के बारे में जानकारी मिल रही है, वह दर्शन के लिए जूना अखाड़े की छावनी में पहुंच रहा है। जूना अखाड़ा, जहां हठ योगी और अन्य लोग चर्चा में रहते हैं, वहीं बाल संत श्रवण पुरी का अलग ही महत्व है।
श्रवण पुरी के गुरु अष्टकौशल महंत संत पुरी महराज ने बताया कि आश्रम से जूना अखाड़े में बच्चे को समर्पित किया गया था। उसके बाद से बच्चा यहीं पर पल रहा है।देखभाल गुरु भाई करते हैं।संतों और गुरु भाइयों के बीच रहते श्रवण पुरी का व्यवहार एकदम आध्यात्मिक हो गया है।छोटी सी उम्र में श्रवण पुरी को देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं।
महंत संत पुरी महराज ने बताया कि श्रवण पुरी के सोने और जागने का समय संतों की तरह ही है।सर्दी के दिन हैं इसलिए भोर में उन्हें पांच बजे के आसपास जगाया जाता है,लेकिन गर्मी के मौसम में श्रवण पुरी की नींद चार बजे के पहले ही खुल जाती है।
महंत संत पुरी महाराज ने बताया कि श्रवण पुरी का दाखिला एक निजी स्कूल में कराया गया है,लेकिन वह आश्रम में भी शिक्षा ग्रहण कर रहा है।जब संत पूजा-पाठ और तपस्या करते हैं तो वह उनके साथ रहता है।महंत संत पुरी महाराज ने बताया कि श्रवण पुरी एक संत की तरह व्यवहार करता है और उसकी असाधारण प्रतिभा अक्सर उन्हें आश्चर्यचकित कर देती है।
जूना अखाड़े में महंत कुंदन पुरी कहते हैं कि बच्चों के अंदर तो स्वयं भगवान बसते हैं।अबोध बालक जब साधु के स्वरूप में हो जाएं तो यह बच्चे और जगत के लिए भी कल्याणकारी है।इस बाल संत में साधुओं जैसी चमत्कारी शक्तियां हैं।उसकी दिनचर्या और व्यवहार से पता चलता है कि वह अपने पिछले जन्म में एक महान आध्यात्मिक व्यक्ति था।