प्रयागराज के बाद काशी बनती है महाकुंभ का पड़ाव,गंगा तट पर सजेगा मिनी कुंभ,उमड़ेगा भगवा-भभूत का रेला

प्रयागराज के बाद काशी बनती है महाकुंभ का पड़ाव,गंगा तट पर सजेगा मिनी कुंभ,उमड़ेगा भगवा-भभूत का रेला

04 Jan 2025 |  19

 

वाराणसी।प्रयागराज में गंगा की धरा पर महाकुंभ में उमड़े 13 अखाड़ों के नागा साधू वसंत पंचमी के स्नान के बाद आध्यात्मिक नगरी काशी की ओर चल देते हैं।फिर यहां गंगा के तट पर मिनी कुंभ सजता है।इस पार के घाटों से लेकर उस पार तक और विभिन्न मठाें,आश्रमों,धर्मशालाओं में नागा साधुओं का डेरा पड़ जाता है।सज जाती है तंबुओं की नगरी, हर ओर दिखता है भगवा-भभूत का रेला।अध्यात्म का मेला अद्भुत लगता है।

 

होली पर्व तक हजारों नागाओं की चहलकदमी काशी में गंगा से लेकर बाबा विश्वनाथ के दरबार तक बनी रहती है।अनेक अद्भुत विधियों से साधना करते नागाओं के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में देश-विदेश के श्रद्धालु यहां उमड़ते हैं।काशी में होने वाले इस मिनी कुंभ की तैयारियों में प्रशासन और मठ-मंदिर जुट गए हैं।

 

बता दें कि आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म रक्षा के लिए स्थापित किए गए नागा साधुओं के सभी 13 अखाड़ों में सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े सहित चार प्रमुख शैव सन्यासी अखाड़ों का मुख्यालय आध्यात्मिक नगरी काशी में ही है।इनमें हनुमान घाट पर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, दशाश्वमेध घाट पर श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, हनुमान चैक कपिलधारा में श्री पंच अटल अखाड़ा, शिवाला घाट पर महानिरंजनी अखाड़ा का मुख्यालय हैं।इनके अतिरिक्त राजघाट पर श्रीअग्नि अखाड़ा, कपिलधारा पर आनंद अखाड़ा, पद्मश्री सिनेमा के पास कुरुक्षेत्र पोखरा पर वैष्णव संप्रदाय के बड़ा उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा निर्मोही अखाड़ा, अनी अखाड़ा आदि। सभी 13 अखाड़ों की शाखाएं हैं। इन मुख्यालयों और शाखाओं में हजारों सन्यासी रहते हैं।

 

श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के पुजारी संतोष मिश्र ने बताया कि जूना अखाड़ा के साथ ही अग्नि और आवाहन अखाड़ों के नागा सन्यासी महाकुंभ में वसंत पंचमी पर संगम स्नान के बाद काशी की ओर प्रस्थान करेंगे। इनके साथ ही या बाद में अटल और निरंजनी अखाड़ों के सन्यासी भी आ जाते हैं।

 

संतोष मिश्र ने बताया कि वाहनों,घोड़ों के माध्यम से तथा पैदल चलकर सभी सन्यासी काशी पहुंचते हैं।आठ फरवरी को रमता पंच के नेतृत्व में बाजे-गाजे व हाथी-घोड़ों,रथों तथा पैदल सन्यासियों की भव्य शोभायात्रा में पूरे लाव-लश्कर व अस्त्र-शस्त्रों के साथ उनका नगर प्रवेश होगा।

 

संतोष मिश्र ने बताया कि स्थानीय साधू-संत व अखाड़े के अधिकारी-कर्मचारी,प्रशासन के लोग तथा काशीवासी मोहन सराय के पास उनकी अगवानी करेंगे।अधिकांश सन्यासी बैजनत्था स्थित जपेश्वर मठ पर रुक जाते हैं। फिर 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर जपेश्वर मठ से उनकी शोभायात्रा निकलेगी और सभी अपने-अपने लाव-लश्कर अस्त्र-शस्त्र के साथ हनुमान घाट पहुंचेंगे।

 

संतोष मिश्र ने बताया कि काशी नगर प्रवेश के बाद सभी सन्यासियों का जत्थे अपने-अपने आश्रमों-मठों के साथ गंगा तट के दोनों ओर पड़े तंबुओं, छावनियों में अपना डेरा जमाएंगे। फिर होली तक यह जमावड़ा काशी में बना रहेगा।

 

संतोष मिश्र ने बताया कि परंपरा के अनुसार जूना अखाड़े के नागा सन्यासियाें की राजसी यात्रा महाशिवरात्रि पर्व पर हनुमान घाट स्थित मुख्यालय से निकलती है।रथों,घोड़ो, हाथियों पर सवार आचार्य महामंडलेश्वर,महामंडलेश्वर, थानापति आदि नागा साधू अपने अस्त्र-शस्त्रों के साथ भूत-भभूत, रुद्राक्ष से सज-धजकर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की ओर प्रात: काल प्रस्थान करते हैं।

 

संतोष मिश्र ने बताया कि इस शोभायात्रा में लगभग पांच-छह हजार नागा साधू होते हैं। इनमें जूना के अतिरिक्त अग्नि, आवाहन, निरंजनी, अटल अखाड़ाें के सन्यासी भी शामिल होते हैं। यह राजसी सवारी बाबा दरबार में पहुंचती है। उस दौरान मंदिर परिसर को आम श्रद्धालुओं से खाली करा लिया जाता है।

 

संतोष मिश्र ने बताया कि लगभग घंटे भर बाबा विश्वनाथ के पूजन-अर्चन,अभिषेक के पश्चात नागा सन्यासियों का यह समूह वहां से निकलता है और फिर होली तक काशी में गंगा स्नान, बाबा के दर्शन-पूजन आदि के साथ जप-तप, साधना में लगा रहता है।

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