गुरु पूर्णिमा पर विशेष:ज्ञान,अनुशासन और लक्षण का प्रतीक है गुरु पूर्णिमा:कुमारी कुमारी
गुरु पूर्णिमा पर विशेष:ज्ञान,अनुशासन और लक्षण का प्रतीक है गुरु पूर्णिमा:कुमारी कुमारी
10 Jul 2025 | 55
गुरु पूर्णिमा एक पावन अवसर है जो हमें अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का अवसर देता है।यह दिन आषाढ़ मास की पूर्णिमा मनाई जाती है,जो इस वर्ष दस जुलाई (गुरुवार) को है। गुरु पूर्णिमा का महत्व हिंदू,बौद्ध और जैन धर्म में समान रूप से है,जो ज्ञान,निर्देश और संकेत का प्रतीक है।
गुरु पूर्णिमा का इतिहास
गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है,चारों वेदों का संकलन,18 पुराणों की रचनाएं और महाभारत जैसे महान ग्रंथों की रचनाएं।उन्हें प्रथम गुरु माना जाता है,खोज ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाया जाता है।गुरु की भूमिका न केवल प्रारंभिक दिशानिर्देश तक सीमित है, बल्कि जीवन के सभी सिद्धांतों में दिशानिर्देश और निर्देशन की स्थापना है। गुरु हमें अज्ञान के अंधेरे से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं और जीवन को सही दिशा दिखाते हैं।
गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य और शिष्य अपने गुरु के पास उन्हें सम्मान देते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। घर पर गुरु की पूजा,मंत्र का जाप और ध्यान करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा और उनके निर्वचन पूजन से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत रखना और सुबह-सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा-पाठ करना शुभ माना जाता है।घर और मूर्तियों में गुरु की तस्वीर या चरण पादुका की विशेष पूजा की जाती है।ध्यान और जप के माध्यम से लोगों को आत्मिक शांति प्राप्त होती है।गुरु पूर्णिमा हमें ज्ञान,श्रद्धा और भक्ति की शक्ति से पूछता है।यह एक पावन अवसर है,जो हमें अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का अवसर देता है।