यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के बाहर होने से भारत को क्या–क्या नुकसान?

भारतीय रुपया और आईटी उद्दोग को ज्यादा नुकसान की सम्भावना

24 Jun 2016 |  666

जनमत संग्रह में ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से अलग होने के रिजल्ट ने भारतीय कारोबार के लिये बुरी खबर लेकर आया. इस अलगाव के बाद भारत और दुनिया की अर्थव्य स्थाख पर व्यानपक असर पड़ने लगा है। दुनिया भर के बाजार गिरने का खतरा मंडरा रहा है। भारतीय शेयर बाजार में प्री ओपनिंग में सेंसेक्स 900 अंक तक गिर गया है। निफ्टी में भी 300 अंक की गिरावट दर्ज की गई है। रुपया भी डॉलर के मुकाबले 68 रुपए के स्त र से अधिक हो गया है। ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड 30 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। आइये देखें कि इस परिघटना का भारत पर कौन-कौन से असर हो सकतें हैं; • भारतीय आईटी सेक्टर की 6 से 18 फीसदी कमाई ब्रिटेन से ही होती है। ब्रिटेन के रास्ते भारतीय कंपनियों की यूरोप के इन 28 देशों के 50 करोड़ लोगों तक पहुंचती है। अगर ब्रिटेन ईयू से बाहर निकला तो बाजार की राह मुश्किल होगी। ब्रिटेन के अलग होने पर भारत को यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे। कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग-अलग नियम कानून से जूझना होगा। • ब्रिटेन में बने उत्पाद पर भारतीय कंपनियों को यूरोपीय देशों में टैक्स देना होगा। टाटा समूह की जगुआर लैंड रोवर के मुताबिक अलग होने से उसे 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। ब्रिटेन के बाहर होने के बाद वीजा नियम सख्त होंगे, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए स्टाफ की दिक्कत हो सकती है। वीजा लेकर पढ़ने जाने वाले छात्रों को भी मुश्किल होगी। • ब्रिटेन की करेंसी पाउंड और यूरोप की करेंसी यूरो के झगड़े में दुनिया भर में डॉलर की मांग बढ़ेगी। ऐसे में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत घटेगी। • डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत गिरने से भारत को कच्चे तेल के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे यानि पेट्रोल और डीजल महंगा होगा। • ब्रिटेन में काम कर रही 800 भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है. खास तौर पर भारतीय आईटी सेक्टर के 6 से 18 फीसदी कमाई ब्रिटेन से ही होती है. भारतीय कंपनियों के लिए यूरोप में घुसने का रास्ता ब्रिटेन से शुरु होता है. ऐसे में ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने पर यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे. कंपनिय़ों का खर्च बढ़ेगा. और अलग अलग देशों के अलग अलग नियम-कानून से जूझना होगा.

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