यूपी :चाचा-भतीजे के बीच नाक की लड़ाई ने सपा की मुश्किलें बढ़ाई.
मुख़्तार को लेकर मुलायम कुनबे में घमासान जारी
17 Aug 2016 | 1692
मुलायम परिवार में चाचा भतीजा की लड़ाई बढ़ गई है. आज सुबह साढ़े दस बजे कैबिनेट की बैठक है लेकिन खबर है कि शिवपाल यादव कैबिनेट की बैठक में नहीं जाएंगे.
दूसरी ओर मुलायम को मुख्तार पसंद है. लेकिन, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नहीं. कल से खबर चल रही है कि मुख्तार की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय हो सकता है. शिवपाल ने इसके लिए मुलायम से हरी झंडी ले ली है. लेकिन, सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव अब भी राजी नहीं हैं.
मुख्तार का ये मामला मुलायम परिवार में मूंछ का सवाल बन गया है. नेताजी के इशारे को आदेश बताकर दो दिन से यूपी की राजनीति को अपने आसपास घूमाने वाले शिवपाल यादव के लिए अच्छी खबर नहीं है. मुलायम ने भले ही मुख्तार को लाने के लिए शिवपाल को हरी झंडी दे दी है. लेकिन, सूत्र बता रहे हैं कि अखिलेश यादव किसी कीमत पर राजी नहीं हैं.
अखिलेश को अपनी छवि की चिंता है. क्योंकि, बाहुबली की बदनामी को साथ लेकर वो चलना नहीं चाहते. जून महीने में उन्होंने कौमी एकता दल को शामिल कराने वाले मंत्री को बर्खास्त करके अपनी ताकत का एहसास करा दिया था. इस एपिसोड से अखिलेश के सगे चाचा शिवपाल इतने नाराज हुए थे कि उन्होंने इस्तीफे तक का फैसला कर लिया.
खुद मुलायम सिंह यादव ने 15 अगस्त को इस बात का खुलासा किया. नेताजी के इसी खुलासे से घर का झगड़ा चौखट से बाहर आ गया. अब जमाना इस बात को जान चुका है कि समाजवादी पार्टी के घर में दो गुट बन चुके हैं. सूत्र बताते हैं कि एक गुट की कमान है अखिलेश यादव के पास है. जबकि दूसरे गुट की कमान शिवपाल यादव संभाल रहे हैं.
शिवपाल, मुलायम के भाई और अखिलेश के सगे चाचा हैं. परिवार में मुलायम के अलावा पांच और सांसद हैं जो अखिलेश के साथ हैं. पत्नी डिंपल, चाचा रामगोपाल, रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय, मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र और मुलायम के पोते तेजप्रताप. दूसरी ओर शिवपाल के खेमे में मुलायम सिंह के दूसरे कारोबारी बेटे प्रतीक यादव और उनकी पत्नी अपर्णा यादव के होने की बात कही जा रही है.
परिवार की लड़ाई में अबतक अखिलेश यादव हर बार अपने चाचा शिवपाल यादव पर भारी साबित हुए हैं. जब मुलायम सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे, उस समय शिवपाल यादव की पार्टी और सरकार में हैसियत नंबर दो की थी औऱ यही माना जाता था कि शिवपाल यादव ही मुलायम सिंह के उत्तराधिकारी बनेंगे. लेकिन, 2012 में जब परिवार से सीएम बनाने की बारी आयी तो मुलायम सिंह ने भाई के ऊपर अपने बेटे को तरजीह दी.
यही से परिवार में बर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई. समय समय पर चाचा और भतीजे दोनों ने अपनी अपनी चाल चली. लेकिन, जून महीने में मुख्तार को साथ लाने की चाल, चाचा शिवपाल पर भारी पड़ी और अखिलेश ने विलय रद्द कराकर उन्हें मात दे दी. अब एक बार फिर मुलायम के सिग्नल के बाद शिवपाल सक्रिय हुए हैं तो अखिलेश खेमे ने अपना इरादा जताकर नेताजी को भी संकेत दे दिये हैं कि सोच लीजिए.. करना क्या है ?