महाकुंभ नगर।विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में धरातल में एक अनोखा संकल्प उतारेगा।इसे लेकर अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं।यह संकल्प है 11 हजार त्रिशूल की अद्भुत साधना का,जिसमें 10 हजार गांव के किसान,गरीब जनता और रेड़ी पटरी वाले दुकानदारों से भिक्षा लेकर 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष एकत्र किए गए हैं।यह साधना है बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा और हिंदू राष्ट्र निर्माण के संकल्प की।अमेठी के शिव योगी अभय चैतन्य ब्रह्मचारी का यह संकल्प महाकुंभ नगर में मूर्त रूप लेने लगा है।
संगम तट पर विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में देवाधिदेव महादेव की साधना का अनोखा संकल्प श्रद्धालुओं को इस बार दर्शन के लिए मिलने जा रहा है।इस बार 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से संगम किनारे द्वादश ज्योतिर्लिंग का निर्माण हो रहा है।
अमेठी के बाबूगंज सगरा के संत परमहंस आश्रम के पीठाधीश्वर अभय चैतन्य ब्रह्मचारी मौनी बाबा की तरफ से इसे मूर्त रूप दिया जा रहा है।अभय चैतन्य ब्रह्मचारी बताते हैं कि देश के 10 हजार गांवों से आर्थिक सहयोग लेकर 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से संगम किनारे बारह शिवलिंग का निर्माण किया जा रहा है।भगवान शिव का श्रृंगार है उनका त्रिशूल. शिव की इस महा साधना में शिवलिंग के चारों तरफ 11 हजार त्रिशूल का स्थापित होंगे, जिनका निर्माण कर लिया गया है।
स्वामी अभय चैतन्य ब्रह्मचारी बताते हैं कि इन त्रिशूलों में काले रंग का त्रिशूल आतंकवाद का नाश करने वाला,पीले रंग का त्रिशूल महामारी का शमन करने के लिए,लाल रंग का त्रिशूल वैभव और लक्ष्मी की वृद्धि करने वाला और सफेद रंग का त्रिशूल ज्ञान की वृद्धि करने वाला माना जाता है। ये 11 हजार त्रिशूल संगम किनारे स्थापित हो रहे बारह शिवलिंग के चारों तरफ लगेंगे।
स्वामी अभय चैतन्य ब्रह्मचारी का संकल्प बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा और हिंदू राष्ट्र का निर्माण है।इसके लिए महाकुंभ में 108 हवन कुंड में 125 करोड़ आहुतियों को देने का संकल्प है।यहां 11 करोड़ मंत्रों के जाप के लिए अनुष्ठान होगा, 1 करोड़ 21 लाख दीयों का दीपदान इसका हिस्सा है,14 जनवरी से इस शिव साधना की शुरुआत हो जाएगी।