पीलीभीत।उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स से जुड़े तीन आतंकियों के एनकाउंटर के बाद तराई इलाके में सरगर्मी से उनके मददगारों की तलाश की जा रही है।जंगली इलाके के झाले इन्हें छुपने के लिए मुफीद हो सकते थे।आतंकियों के मददगार कौन हैं,पंजाब में वारदात के बाद पूरनपुर में क्यों आए और एके 47 जैसे हथियार कैसे लाए,इसकी जांच शुरू हो गई है।एनआईए,आईबी और एटीएस समेत कई एजेंसियों की टीम ने यहां डेरा डाल रखा है।लखनऊ और चंडीगढ़ के अलावा दिल्ली गृह मंत्रालय में बैठे जिम्मेदारों को यह टीमें इनपुट भेज रही हैं।
पीलीभीत एनकाउंटर न केवल यूपी और पंजाब बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से देशभर की सुरक्षा एजेंसियों के जांच का विषय बन गया है।यही कारण है कि दोनों राज्यों के पुलिस अफसरों के साथ ही वहां की एजेंसियों ने भी पीलीभीत में डेरा डाल लिया है।चूंकि एक साथ जा रहे तीनों ही आतंकी मार दिए गए,इसलिए यह भी तय करना मुश्किल हो रहा है कि पंजाब में घटना करके वह यहां इस क्षेत्र में किसके संरक्षण में या मदद लेने आ रहे थे।
पीलीभीत में बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग मौजूद है, जो शहर से लेकर जंगली इलाकों में बनाए झालों में रहते हैं। जाहिर है कि खेतिहर क्षेत्र के बड़े झालों में आतंकियों को आसानी से लंबे समय तक शरण मिल सकती थी, इसलिए एजेंसियों का पहला संदेह इन्हीं सुदूरवर्ती झालों पर ही हैं। टीम लगातार यहां से इनपुट जुटा रही हैं। एके 47 जैसे बड़े हथियार पंजाब से यहां किस तरह लाए गए, इन बिंदुओं पर भी जांच की जा रही है।
पीलीभीत जिला सघन वन क्षेत्र वनदी-नहरों से समृद्ध है, वहीं नेपाल से सटा हुआ भी है।एजेंसियां इस बात पर भी मंथन कर रही हैं कि पंजाब में खतरा भांपकर ये आतंकी कहीं पीलीभीत के रास्ते नेपाल जाने की तैयारी में तो नहीं थे। जाहिर है कि नेपाल जाने को पीलीभीत से रास्ते हैं जहां आवागमन काफी आसान है। नहर आदि पार करके तस्करी भी की जाती है। इस बिंदु पर भी जांच चल रही है कि एके 47 जैसे हथियार यह लोग पीलीभीत में ही किसी विश्वासपात्र के पास छुपाकर नेपाल आसानी से भाग सकते थे और फिर ये अपने पाकिस्तानी आकाओं के संपर्क में आसानी से आ जाते और इन्हें पकड़ना नामुमकिन हो जाता।