देश में जलता है रावण का पुतला,लेकिन यूपी के इस मंदिर में मनाया जाता है जन्मदिन,सिर्फ दशहरे के दिन खुलते हैं मंदिर के दरवाजे

देश में जलता है रावण का पुतला,लेकिन यूपी के इस मंदिर में मनाया जाता है जन्मदिन,सिर्फ दशहरे के दिन खुलते हैं मंदिर के दरवाजे

12 Oct 2024 |  16

 

कानपुर।उत्तर प्रदेश के कानपुर में लंकापति रावण का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो साल में एक बार खुलता है।दशहरे के दिन इस मंदिर में रावण का जन्मदिन मनाया जाता है।देशभर में विजय दशमी के दिन रावण के वध और दहन की परंपरा है,लेकिन इस मंदिर में उसकी पूजा होती है और श्रंगार किया जाता है। इसके साथ ही लंकापति रावण का जन्मदिन भा मनाया जाता है।लोग साल में एक बार रावण के दर्शन कर पाते हैं।लोग साल भर दशहरे का इंतजार करते हैं।

 

1868 में बना था रावण का मंदिर

 

सदियों से कहानियों और ग्रंथों में रावण के चरित्र को हम पढ़ते और सुनते चले आ रहे हैं,जिसमें लंकापति रावण की छवि को मर्यादा के विरुद्ध और राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में हम जानते हैं। प्रभु श्री राम और लंकापति रावण के युद्ध में सत्य की लड़ाई लड़ने वाले प्रभु श्री राम की जीत और असत्य की हार लंकापति रावण के रूप में हुई थी,लेकिन कानपुर में आज भी एक ऐसा मंदिर है, जिसे 1868 में स्थापित किया गया था। इस मंदिर में एक विशालकाय शिवलिंग भी है और यहां लंकापति रावण की मूर्ति भी स्थापित की गई थी, जिसे उन्नाव के रहने वाले एक परिवार ने तैयार कराया था।साल में एक बार दशहरे के दिन इस मंदिर के द्वार खोले जाते हैं और इसी दिन यहां लंकापति रावण का दूध और जल से अभिषेक होता है फिर श्रंगार कर आरती के साथ पूजन किया जाता है और यहां तमाम श्रद्धालु आस्था एक साथ पहुंचते हैं।

 

जानें क्या है मान्यता 

 

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां साल में एक बार जब कोई श्रद्धालु दर्शन कर कोई मनोकामना करता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।वहीं मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां लंकापति रावण के ज्ञान और उसकी भक्ति को लेकर उसकी पूजा की जाती है।बुरे कामों से रावण का वध हुआ था, लेकिन हर किसी में एक अच्छा और एक बुरा रूप होता है, जिसके चलते इस मंदिर में रावण के विद्वान होने और भक्ति को स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। साल के बाकी दिन ये मंदिर बंद रहता है। मान्यता ऐसी भी है कि जिस दिन प्रभु श्री राम के हाथों लंकापति रावण का वध हुआ था उसी दिन उसे मोक्ष भी मिला था और उसी दिन उसे नया जन्म भी मिल गया था, जिसके चलते इस मंदिर में रावण का दशहरा के दिन जन्मदिन भी मनाया जाता है।

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