झारखंड में झामुमो के संभावित 18 प्रत्याशियों के नाम आए सामने,लिस्ट में हेमंत सोरेन और कल्पना का भी नाम 

झारखंड में झामुमो के संभावित 18 प्रत्याशियों के नाम आए सामने,लिस्ट में हेमंत सोरेन और कल्पना का भी नाम 

17 Oct 2024 |  45

 

रांची।इंडिया गठबंधन के बीच सीट बंटवारे पर अंतिम चरण की बातचीत चल रही है।अगले दो दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी। इस बीच सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा के 18 प्रत्याशियों के नाम सामने आए हैं। बरहाल अभी झामुमो ने इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की है। लिस्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनकी पत्नी कल्पना सोरेन का नाम भी है।सीएम सोरेन बरहेट विधानसभा सीट और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। सूत्रों के अनुसार गठबंधन में झामुमो 44 से 46 सीटों पर प्रत्याशी उतार सकता है। उमाकांत रजक को भी चंदनकियारी से उतारे जाने की चर्चा है।

 

संभावित लिस्ट इस प्रकार है

 

बरहेट: हेमंत सोरेन

 

गांडेय: कल्पना सोरेन

 

दुमका: बसंत सोरेन

 

गिरिडीह: सुदिव्य कुमार सोनू

 

सरायकेला: गणेश महली

 

मझगांव: निरल पूर्ति

 

चाईबासा: दीपक बिरुआ

 

गुमला: भूषण तिर्की

 

सिसई: झिगा सुसारण होरो

 

मधुपुर: हफीजुल अंसारी

 

सिमरिया: मनोज चंद्रा

 

नाला: रबींद्रनाथ महतो

 

तमाड़: विकास मुंडा

 

टुंडी: मथुरा महतो

 

डुमरी: बेबी देवी

 

गढ़वा: मिथिलेश ठाकुर

 

भवनाथपुर: अनंत प्रताप देव

 

लातेहार: बैद्यनाथ राम

 

विपक्ष ने 20 वर्षों में झारखंड को पिछड़ा बनाया:सीएम सोरेन

 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि उन्हें पता है कि अभी भी कई क्षेत्र में बहुत कुछ करना बाकी है। विपक्ष ने 20 वर्षों तक राज्य को इतना पिछड़ा बनाया कि इसे आगे ले जाने के लिए अभी कई गुना जोर लगाना है और यह जोर हम मिलकर लगाएंगे। सीएम सोरेन ने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हमें भाजपा और विपक्ष के धनतंत्र, झूठ, साजिश और समाज को तोड़ने वाली राजनीति के खिलाफ मिलकर लड़ना है। आपके विश्वास और समर्थन के साथ हम मिलकर समृद्ध, विकसित और खुशहाल झारखंड का निर्माण करेंगे। दिशोम गुरुजी के सपनों का समृद्ध झारखंड बनकर रहेगा।

 

सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्होंने चुनौतियों को संयम से दूर किया। दिसंबर 2019 में जनादेश के बाद राज्य की बागडोर संभाली। उनका मकसद झारखंड की जड़ें मजबूत करना है।सीएम सोरेन के अनुसार 1932 खतियान आधारित नीति, पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण, सरना आदिवासी धर्म कोड का अधिकार तथा हो, मुंडारी और कुड़ुख भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराना, झारखंड की अस्मिता से जुड़ा हुआ मुद्दा रहा है, इसलिए विपक्ष द्वारा फैलाए गए कई झंझावातों के बाद भी उन्होंने इन्हें विधानसभा से पारित करा कर केंद्र सरकार को भेजा। हमारे पुरुखों के सपनों को पूरा करने के लिए और हमें अपने अधिकारों को लेने के लिए जब तक लड़ना पड़ेगा, हम लड़ेंगे। राज्य के इतिहास में पहली बार आदिवासी महोत्सव भी मनाया गया।

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