प्रयागराज।संगम नगरी में गंगा धरा पर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ होने जा रहा है।महाकुंभ अपने धार्मिक,आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम के लिए प्रसिद्ध है।महाकुंभ में कई नामी बाबाओं का जमावड़ा शुरू हो गया है,महाकुंभ शुरू होने से पहले अखाड़े में प्रवेश शुरू हो गया है और साधु-संत अपने-अपने आखाड़े में आने लगे हैं,नागा सन्यासी अपनी छावनियों में प्रवेश कर जप-तप और साधना में लीन हो गए हैं।
इन सबके बीच एक 9 साल का नागा संन्यासी गोपाल गिरी जी महाराज चर्चा में है।
गोपाल गिरी जी महाराज हिमाचल प्रदेश के चांपा से आए हैं, महाकुंभ के सबसे कम उम्र के गोपाल गिरी नागा संन्यासी हैं। गोपाल गिरी श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े के बाहर हाड़ कंपा देने वाली ठंड में बिना कपड़ों के भस्म लगाए तपस्या और ध्यान में लीन रहते हैं।तीन साल की उम्र में गोपाल गिरी के माता-पिता ने उन्हें उनके गुरु को दान कर दिया था। गोपाल गिरी चार भाइयों में सबसे छोटे हैं और अब संन्यासी जीवन में पूरी तरह रम गए हैं।
मूलतः बरेली जिले के अकबरपुर गांव के रहने वाले गोपाल गिरी महाराज का कहना है कि महाकुंभ के बाद पढ़ाई फिर से शुरू करेंगे।संन्यास के बाद उनकी शिक्षा में रुकावट आ गई थी,लेकिन अब वे अपनी पढ़ाई गुरुकुल के माध्यम से पूरी करेंगे।शुरू में उन्हें घर की बहुत याद आती थी,लेकिन गुरु के ज्ञान और मार्गदर्शन ने उन्हें मोह-माया से दूर कर दिया।
बता दें कि गोपाल गिरी महाराज की दिनचर्या अत्यंत नियमित और अनुशासित है।ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं के बाद गुरु के साथ भजन और मंत्रों का अभ्यास करते हैं। गोपाल गिरी ने हवन का मंत्र भी सीख लिया है और अपने आध्यात्मिक अभ्यास को आगे बढ़ा रहे हैं।महाकुंभ के दौरान गोपाल गिरी तलवार कला का प्रदर्शन करते हुए गुरु दीक्षा भी ले रहे हैं।गोपाल गिरी की यह कला और अलौकिक तपस्या उन्हें श्रद्धालुओं के बीच विशेष पहचान दिला रही है।